कानपुर(ब्यूरो)। वारदात को अंजाम देनेे के बाद पेशेवर क्रिमिनल्स का पुलिस की नजर से बच पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि शासन के निर्देश पर कमिश्नरेट पुलिस ने 3500 से ज्यादा क्रिमिनल्स का ई-डोजियर तैयार कर लिया है। जिसमें अपराधी से जुड़ी हर छोटी से छोटी जानकारी शामिल की गई। रंग-रूप, हाइट, अपराध का तरीका, बातचीत का लहजा, पता, मोबाइल नंबर, परिजनों का डिटेल भी इसमें शामिल है। पीडि़त की शिकायत के बाद प्राइमरी इंवेस्टिगेशन में ही अंदाजा हो जाएगा कि किस अपराधी या गैंग ने वारदात को अंजाम दिया है।
धुंधले फुटेज को फिल्टर करेगी मशीन
पुलिस अधिकारियों का दावा है कि वारदात के बाद ई-डोजियर और पीडि़त की मदद से पूरे मामले का खुलासा जल्दी से जल्दी हो जाएगा। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक क्राइम को करने के बाद अगर इसे पुराने क्रिमिनल ने अंजाम दिया है, तो उसका पता आसानी से चल जाएगा। वहीं सीसीटीवी से मिले धुंधले फुटेज को फिल्टर करने की मशीन भी कमिश्नरेट पुलिस को मिल गई है। जिससे धुंधले दिखने वाले गाड़ी नंबर और शातिरों के चेहरे की पहचान भी हो जाएगी।
लोकेशन भी होगी ट्रेस
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जिस समय किसी के साथ वारदात होती है तो उसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि अपराधी के चेहरे, हाव भाव, बात करने का तरीका, कपड़े, जूते, चप्पल, हाथ पैरों की बनावट देखनी होगी। इसके बाद का काम पुलिस की प्राइमरी इनवेस्टिगेशन में शामिल होगा। कमिश्नरेट पुलिस ने साल 2000 से 2022 तक के शातिर अपराधियों का ई-डोजियर तैयार कर लिया है। क्राइम होने के बाद प्राइमरी इनवेस्टिगेशन में मिले इविडेंस के आधार पर न सिर्फ पुलिस पुराने शातिरों की पहचान कर लेगी बल्कि वह कहां-कहां मिल सकता है इसकी जानकारी भी कर लेगी। आरोपी की लोकेशन ट्रेस हो जाएगी।
जेल से छूटने के बाद 24 घंटे नजर में
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शासन ने मई 2023 में हर क्रिमिनल का ई-डोजियर बनाने का आदेश जारी किया था, जिसके बाद से लगातार काम चल रहा था। लगभग 3500 अपराधियों का ई डोजियर तैयार कर लिया गया है। ये सभी अपराधी पेशेवर हैैं। अब तक पेशेवर अपराधियों की निगरानी की जिम्मेदारी मैनुअली बीट पुलिस कर्मियों की थी लेकिन अब ये निगरानी थाने में कम्पयूटर के जरिए भी की जा सकेगी। जीपीएस से इनके मोबाइल की लोकेशन पुलिस को मिलती रहेगी।
मार्च-24 तक पूरी हो जाएगी एंट्री
पुलिस कमिश्नर डॉ। आर के स्वर्णकार ने बताया कि कुछ महीने की क्रिमिनल्स की इंट्री रुक गई है। कुछ टेक्निकल समस्या थी। मार्च 2024 तक सभी की इंट्री करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैैं। ई-डोजियर बनने से पुलिस का समय तो बचेगा ही, आम आदमी को भी समय से न्याय मिल सकेगा। शासन की मंशा है कि पीडि़त को कम समय मेें न्याय मिल सके।