कानपुर (ब्यूरो) कमिश्नर ने ई बस सर्विस की ग्राउंड रिएलिटी समझने के लिए दो बसों में अकेले सफर किया। बस नंबर यूपी-78 जीटी 3576 से वह मोतीझील से यूनिवर्सिटी तक गए। इसके बाद बस नंबर यूपी-78 जीटी 3969 से वापस गोल चौराहा तक आए। बस जर्नी में यह तो साफ हुआ कि ई-बसों में पैसेंजर्स की कमी नहीं है। बस ड्राइवर भी सामान्य स्पीड पर ही बस चला रहे थे, लेकिन वह सवारी बैठाने या उतारने के लिए बीच सड़क पर बस रोक रहे थे। दोनों बसों के ड्राइवर सीट बेल्ट नहीं लगाए थे। एक ने मास्क भी नहीं पहना था। जिस पर दोनों ड्राइवरों को एक महीने के लिए डयूटी से हटाने व कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए निर्देश दिए। डयूटी के दौरान एक ड्राइवर ने यूनिफार्म भी नहीं पहनी थी और वह गुटखा खा कर गाड़ी चला रहा था।


पैसे लिए टिकट नहीं दिया
एक ई-बस के कंडक्टर ने यात्री से 5 रुपए तो लिए लेकिन उसे टिकट नहीं दिया। बाद में जब यात्री ने टिकट मांगा तो कंडक्टर ने 5 रुपए और लिए फिर 10 रुपए का टिकट दिया। ऐसा दोनों ही बसों में सफर के दौरान देखने को मिला। जिस पर कमिश्नर ने दोनों कंडक्टरों को सेवा से हटाने का आदेश दिया। बसों के अंदर हेल्पलाइन नंबर भी लिखे नहीं मिले न ही बसों के अंदर रूटवाइस टिकट के रेट की लिस्ट चस्पा थी। इसे देखते हुए कमिश्नर ने एमडी सिटी बस सर्विस को निर्देश दिए कि अगले 15 दिनों में हेल्पलाइन नंबर और बसों के रूटवाइस किराए के चार्ज प्रदर्शित करना सुनिश्चित करें। और बस में इसकी तस्वीरों के साथ उन्हें रिपोर्ट दें। साथ ही बसों के मासिक बिल का पेमेंट करने से पहले अब केसीटीसीएल को सभी बसों के सीसीटीवी की जांच भी होगी। अगर ड्राइवर-कंडक्टर का आचरण सही मिलता है तो पेमेंट किया जाएगा। ऐसा न होने पर प्रत्येक लापरवाही पर पेमेंट से काटा जाएगा।