कानपुर (ब्यूरो) प्रो। अभिषेक ने बताया कि अभी तक इस यूएवी को रिमोट या लैपटॉप से संचालित किया जाता है, लेकिन हम इसे मोबाइल से चलाने के लिए नए तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। इसमें कई तरह की खूबियां रहेंगी। इसके एडवांस मॉडल पर भी काम चल रहा है, जिससे यह दुश्मनों की नजर से बच भी सकेगा। आईआईटी ने तेलंगाना और उत्तराखंड में कोरोना की वैक्सीन पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचाने का काम भी किया है। प्रो। अभिषेक ने बताया कि 20 से 25 किलो तक के भार रख कर विभ्रम की टेस्टिंग कर चुके हैं। लेकिन सेना और एनडीआरएफ की तरफ से इसकी भार क्षमता बढ़ाने की मांग की गई है जिस पर काम किया जा रहा है।
सेना के लिए लाइट वेट ड्रोन
इस ड्रोन को खास तौर पर सेना के लिए बनाया गया है। इस ड्रोन से देश की सीमाओं में घुसने वाले दुश्मनों पर नजर रखने में अब तक काफी मदद मिली है। क्योंकि इसमें इंफ्रारेड डिवाइस लगी हुई है। साथ ही इसमें लगे कैमरा और जीपीएस सिस्टम से घुसपैठियों की लोकेशन का सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है।