कानपुर (ब्यूरो)। शुगर मिल्स में गन्ने से शुगर बनाते समय गन्ना क्रश करने के बाद निकलने वाला वेस्ट वाटर नदियों और ग्र्राउंड वाटर को पॉल्यूट नहीं करेगा। बल्कि अब यह लोगों की प्यास बुझाएगा। क्योंकि पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाने वाले नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) ने शुगर मिल्स के वेस्ट वाटर को पीने योग्य बनाने के लिए फिल्टर करने की टेक्नोलॉजी डेवलप कर ली है। एनएसआई में फिल्टर के बाद पानी को कई स्टैैंडर्ड पर चेक किया गया, जिसमें वह पीने योग्य पानी के स्टैैंडर्ड पर खरा उतरा है। इसका नाम एनएसआई ने गन्ना जल रखा है। इसकी कीमत पांच रुपए प्रति लीटर है। जल्द ही गन्ना जल को एनएसआई, सरस्वती शुगर मिल्स यमुना नगर के साथ मिलकर मार्केट में लांच करने वाला है।
600 लाख टन वेस्ट वाटर
देश भर में वर्तमान में 529 शुगर मिल चल रही हैं। एक साल मेें शुगर मिल्स में 30 करोड़ टन गन्ना क्रश होता है, जिससे 600 लाख टन के लगभग वेस्ट वाटर निकलता है। यह वेस्ट वाटर बड़ी समस्या बना हुआ था। क्योंकि यह नदियों को ही नहीं ग्र्राउंड वाटर को भी प्रदूषित करने की वजह साबित हो रहा था। हालांकि एनएसआई के डायरेक्टर प्रोफेसर नरेन्द्र मोहन के मुताबिक अब तक इस वाटर को खेतों में सिंचाई के लिए यूज किया जा रहा था। एनएसआई में पालोससे फाइंग रेमेडिएशन के जरिए इसको पीने योग्य बना लिया गया है। इसका प्लांट लगाने से शुगर मिल्स वेस्ट वाटर से कुछ बेनीफिट ले सकेंगी। इसके अलावा वेस्ट वाटर को ठिकाने लगाने का टेंशन भी नहीं रहेगा।
ग्राउंड वाटर भी होता है पाल्यूटेड
शुगर मिल्स के सामने वेस्ट वाटर को ठिकाने लगाना एक बड़ा चैलेंज है। अगर वेस्ट वाटर जमीन के नीचे जाता है तो उससे ग्राउंड वाटर पॉल्यूट होता है। इसके अलावा उसको यदि किसी जलाशय में छोड़ा जाता है तो जलाशय को पॉल्यूट कर देता है, जिससे मनुष्य के साथ साथ जलीय जीवों का जीवन भी अस्त व्यस्त होता है। ऐसे मेें शुगर मिल्स अगर एनएसआई के सहयोग से इस टेक्नोलॉजी का यूज करती हैैं तो उनको वेस्ट वाटर से बनने वाले गन्ना जल से भी अर्निंग स्टार्ट हो जाएगी। बाजार में मिलने वाला पैक्ड वाटर 20 रुपए (एवरेज) का एक लीटर मिलता है। वहीं गन्ना जल की कीमत मात्र पांच रुपए लीटर है।