कानपुर(ब्यूरो)। ट्रेनों के एसी कोचों में तैनात रहने वाले कोच अटेंडेंट व एसी मैकेनिक के लिए रेलवे ने ड्रेस कोड जारी कर दिया है। जिससे ट्रेन में सफर कर रहे पैसेंजर्स उनको आसानी से पहचान सकें और अपनी समस्या का निस्तारण करा सकें। यह सुविधा रेलवे ने पैसेंजर्स की समस्या को देखते हुए शुरू की है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक एसी ट्रेन में तैनात अटेंडेंट का डे्रस कोड न होने की वजह से कई बार पैसेंजर्स जरूरत पडऩे पर पूरी ट्रेन में उनको खोजते रहते थे। नई व्यवस्था के तहत डे्रस कोड लागू होने पर पैसेंजर्स उनको दूर से ही पहचान सकेंगे।
सिविल ड्रेस की वजह से
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक रेल मदद एप के माध्यम से पैसेंजर्स से मिली शिकायतें व फीडबैक से पता चला कि कोच अटेंडेंट व एसी मैकेनिक के सिविल ड्रेस में होने की वजह से पैसेंजर्स उनको पहचान नहीं पाते थे। जिसकी वजह से उनको कई घंटे तक समस्या के साथ सफर तय करना पड़ता था। डे्रस कोड की वजह से अब पैसेंजर कोच अटेंडेंट व एसी मैकेनिकसमेत हाउसकीपिंग सर्विस देने वालों की पहचान कर सकेंगे। जिससे उनकी समस्या का निदान तत्काल प्रभाव से हो सकेगा।
नीले रंग की शर्ट व नारंगी जैकेट
प्रयागराज डिवीजन के पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि कोच अटेंडेंट को जारी की गई नई ड्रेस में शर्ट नीले रंग की पैंट काले रंग का होगा। रेडियम टेपिंग वाली नारंगी रंग की जैकेट भी पहननी होगी। जिससे रात में भी वह आसानी से पहचान में आ सकेंगे। उन्होंने बताया कि यह सुविधा फस्र्ट फेस में लंबी दूरी का सफर तय करने वाली सुपर फास्ट व वीआईपी ट्रेनों में लागू की जाएगा।
कई मामलों में अटेेंडेट ही आरोपी
एसी कोचों में आए दिन चोरी की घटना होने की सूचना आती रहती है। नई व्यवस्था से चोरी की घटनाओं में भी पूरी तरह से अंकुश लग सकेगा। कानपुर सेंट्रल स्टेशन के जीआरपी थाने में दर्ज चोरी के कई मामलों में आरोपी कोच के अटेंडेंट ही निकले हैं। अभी तक ड्रेस कोड न होने की वजह से वह चोरी कर आसानी से पैसेंजर्स व स्टाफ में सम्मिलित हो जाते थे। ड्रेस कोड की वजह से अब वह ऐसा नहीं कर सकेंगे। अब अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने से पहले आसानी से पकड़े जाने का डर उनको होगा।
पैसेंजर्स की सुविधाओं को देखते हुए कोच अटेंडेंट को ड्रेस कोड लागू किया गया है। रेल मदद एप व विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म से पैसेंजर्स इसकी डिमांड कर रहे थे। ड्रेस कोड से अब पैसेंजर्स उनको आसानी से पहचान सकेंगे।
अमित सिंह, पीआरओ, प्रयागराज डिवीजन