कानपुर (ब्यूरो) ऑल यूपी रबर हवाई मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महामंत्री आलोक अग्रवाल बताते हैं कि पहले ही पालीमर की कीमतें बढऩे से सस्ती वाली हवाई चप्पल के निर्माण की लागत काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। ट्रांसपोर्टेशन कास्ट भी बढ़ी हुई है। इसके बाद अब जूते चप्पल पर जीएसटी के रेट बढ़ाने से कारोबार को नुकसान होगा। साथ ही खरीददार को भी महंगा सामान खरीदना पड़ेगा।
चप्पल और सोल पर असर
कानपुर में रबर के अलावा पालीमर से तैयार होने वाली हवाई चप्पल और इवो सोल का निर्माण करने वाले दो दर्जन से ज्यादा यूनिटें हैं। यह यूनिटें कानपुर नहीं कई दूसरे शहरों में भी माल की सप्लाई करती हैं। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के मंडल अध्यक्ष आलोक अग्रवाल बताते हैं कि ट्रांस पालीमर के दामों में आग लगी हुई है। मार्च अप्रैल तक इसकी कीमतें 98 रुपए प्रति किलो तक थी जो कि अब बढ़कर 360 रुपए तक हो गई हैं। यह प्राइज इंपैक्ट काफी बड़ा है। पालीमर की दूसरी वैराइटी भी इंपोर्ट होती है,लेकिन कंटेनर्स की किल्लत की वजह से वह भी नहीं हो पा रहा है। कानपुर की फुटवेयर इंडस्ट्री के लिए सोल का उत्पादन इन्हीं यूनिटों में होता है। ऐसे में रॉ मैटेरियल की कीमतें बढऩे का असर तैयार माल की कीमतों पर भी सीधे तौर पर पड़ रहा है।