कानपुर (ब्यूरो) साउथ सिटी से नार्थ सिटी को जोडऩे वाली प्रमुख रोड्स में से टाटमिल-किदवई-बाईपास सड़क शामिल हैं। हर रोज इस रोड से एक लाख से अधिक लोग गुजरते हैं। लेकिन गड्ढों में बदली होने के कारण रोड पर आए दिन होने वाले रोडएक्सीडेंट्स में मौतों के कारण इसे खूनी रोड कहा जाने लगा था। रोड बनाने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू हो गए।
खींचतान में लटकी रही रोड
वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले नेता टाटमिल-बाईपास रोड पास होने के दावे करने लगे। हालांकि रोड पास होने में करीब एक वर्ष लग गए। पीडब्ल्यूडी ऑफिसर्स के मुताबिक रोड की वाइडनिंग कर फोर लेन बनाने, डिवाइडर, ड्रेनेज सिस्टम आदि वर्क के 13 करोड़ रूपए पास हुए। वर्ष 2013 की शुरूआत में 3 करोड़ रूपए मिले। जिससे वाटर लाइन और इलेक्ट्रिसिटी लाइन शिफ्टिंग के लिए जलकल व केस्को को दे दिए। हालांकि केवल केस्को ने टाटमिल से बाईपास तक पोल व लाइन शिफ्टिंग के लिए 5 करोड़ की मांग की थी। इस खींचतान में रोड बनाने का काम लटका रहा। बाद में 5 करोड़ और मिले तो 2019 में इलेक्ट्रिसिटी लाइन शिफ्टिंग होने पर रोड वाइडनिंग का काम शुरू हो सका।
कहीं बनाया कहीं छोड़ा
इलाकाई लोगों संजीव त्रिपाठी, संजय यादव के मुताबिक फोरलेन रोड के साथ पीडब्ल्यूडी को सड़क के दोनों ओर आरसीसी ड्रेनेज सिस्टम भी बनाना था। जिससे बारिश में पहले की तरह वाटरलॉगिंग न हो और रोड खस्ताहाल न हो, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने बाईपास से किदवई नगर चौराहा, बाबा कुटी से आनन्दपुरी और बाबूपुरवा थाना के बीच दोनों साइड कई जगह आरसीसी नाली ही नहीं बनाई।
वाटरलॉगिंग से जूझे लोग
इसी तरह कई जगहों पर दोनों तरफ के दुकानदारों ने मिïट्टी डालकर आने-जाने की जगह बना ली। इसी तरह बाईपास चौराहा के पास मैरिज लॉन वालों ने ड्रेनेज सिस्टम पर कब्जा कर लिया। इसी वजह से थर्सडे को हुई बारिश के बाद बाबूपुरवा केस्को सबस्टेशन से बाकरगंज चौराहा आनन्दपुरी गेट के सामने से बाबाकुटी चौराहा के पास, किदवई एच ब्लाक चौराहा, बाईपास चौराहा वाटरलॉगिंग हो गई। जलभराव के बीच लोग गुजरने को मजबूर रहे। जो दूसरे दिन भी जलजमाव बना रहा है। इलाकाई लोगों का कहना है कि अगर ऐसे ही वाटरलॉगिंग होती रही तो मुश्किलों से बनी सड़क मानसून सीजन में ही खस्ताहाल हो जाएगी।
खूनी रोड- टाटमिल-किदवई नगर-बाईपास
लंबाई-- 3.30 किलोमीटर
पास हुई-- वर्ष 2018 में
सर्विस शिफ्ट कम्प्लीट--2019
बजट --13 करोड़
वर्क-- रोडवाइडनिंग, डिवाइडर, ड्रेनेज सिस्टम
बनी- वर्ष 2020 में
हालात- ड्रेनेज सिस्टम अधूरा होने से जलभराव