वे 18 ग्रेड के पद पर बतौर डॉक्टर सर्जन काम कर रहे थे और उन्होंने पिछले साल ऐबटाबाद शहर में जाली टीकाकरण अभियान चला कर ओसामा बिन लादेन का पता चलाया था।

प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पूर्व डॉक्टर सर्जन और 18 ग्रेड के अफसर डॉ। शकील आफरीदी को नियमों और सर्विस रोल्ज़ का उल्लंघन करने पर नौकरी से निकाल दिया गया है।

स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ऐबटाबाद में अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए के कहने पर जाली टीकाकरण अभियान चलाया था और उनके साथ 17 ओर अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। निलंबित किए गए अधिकारियों ने जाली टीकाकरण अभियान चलाने के लिए डॉ। शकील आफरीदी की मदद की थी।

'अमरीका की सेवा'

ग़ौरतलब है कि अल-कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की गिरफ्तारी के लिए अमरीकी प्रशासन ने डॉ। शकील आफरीदी की सेवाएँ ली थी, जिन्होंने ऐबाटाबाद शहर में लोगों को हैपेटाइटिस बी से बचाव के टीके लगाए थे।

अमरीकी खुफिया अधिकारियों को टीकाकरण अभियान का विचार उस समय आया जब वह ओसामा बिन लादेन के संदेशवाहक अब्बू अहमद अलकुवेती का पीछा करते हुए ऐबाटाबाद के उस घर तक पहुँच चुके थे, जो बाद में ओसामा बिन लादेन का ठिकाना सिद्ध हुआ।

सीआईए के अधिकारी सेटलाइट और दूसरे उपकरणों की मदद से उस घर की निगरानी कर रहे थे लेकिन वह एक दूसर देश में निर्णायक कार्रवाई करने से इस बात की पुष्टि करना चाहते थे कि ओसामा सच में उस घर में मौजूद हैं या नहीं।

उस उद्देश्य के लिए उन्हें उस घर में मौजूद ओसामा बिन लादेन के किसी बच्चे के डीएनए की ज़रुरत थी ताकि वह ओसामा की बहन के नमूने से मिलाया जा सके।

उस अभियान को चलाने के लिए कथित तौर पर सीआईए के ऐजंटों ने डॉ। शकील आफरीदी से संपर्क किया, जो खैबर एजेंसी में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख थे।

बताया जाता है कि इस समय डॉ। शकील आफरीदी पाकिस्तानी अधिकारियों की हिरासत में हैं और अमरीकी प्रशासन गुप्त रुप से उनकी रिहाई की कोशिशें कर रहा है।

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