कानपुर (ब्यूरो) कैंट के मैकूपुरवा में 10 साल के मासूम का किडनैप के बाद मर्डर कर दिया गया। आरोपियों ने शव गंगा में बहा दिया। जिसके चलते अभी तक शव बरामद नहीं हो सका है। अगर पुलिस शव बरामद नहीं कर सकी तो आरोपियों को न्यायिक प्रक्रिया के दौरान इसका लाभ मिलेगा। इस तरह के मामलों में अक्सर आरोपियों को लाभ मिलते हुआ देखा गया है। ऐसे मामलों में आरोपियों को कई बार जल्द जमानत मिल जाती है। वहीं, कई बार पुलिस द्वारा आरोप सिद्ध नहीं कर पाने की वजह से आरोपी को न्यायालय दोषमुक्त कर मुकदमे से बरी कर देता है।

1- संजीत किडनैप एंड मर्डर केस
बर्रा में 2021 में पैथोलाजी कर्मी संजीत यादव का उसके ही दोस्तों ने अपहरण कर फिरौती मांगी थी। इस दौरान संजीत की हत्या कर दी गई थी। आरोपियों ने उसका शव पांडु नदी में बहा दिया था। पुलिस द्वारा काफी तालाश के बाद भी आज तक शव बरामद नहीं हो सका है। इसका लाभ आरोपियों को मिल और वे जमानत पर जेल से बाहर हैं। फिलहाल मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

2- सरताज हत्याकांड
जाजमऊ में 2019 में टेनरी कर्मी सरताज की हत्या उसकी पहली प्रेमिका के पिता और दूसरी के चाचा ने मिलकर कर दी थी। आरोपियों ने उसके शव को सिद्धनाथ घाट पर गंगा में बहा दिया था। इस मामले में भी पुलिस शव नहीं तलाश कर सकी। इसके चलते हत्या में शामिल आरोपी जमानत पर बाहर चल रहे हैं।

सबूत की कमी बनती है वजह

सीनियर एडवोकेट क्रिमिनल पीके गोस्वामी बताते हैं कि जिस तरह डकैती के बाद माल बरामद नहीं होता है तो डकैती सिद्ध नहीं हो पाती है। उसी तरह शव बरामद न होने से कोई ठोस सुबूत पुलिस के पास नहीं होता है और इसका सीधा लाभ अपराधी को मिलता है। उसकी कम समय में न सिर्फ जमानत हो जाती है, बल्कि केस खत्म होने में भी मदद मिलती है। शव न मिलने से न तो पोस्टमार्टम हो पाता है और न ही इंजरीज सामने आ पाती हैैं। शहर में इस तरह के कई मामले पेंडिंग हैं।