KANPUR: डायवोर्स यानी तलाकयह एक ऐसा शब्द है जिसकी सामाजिक परिभाषा बहुत दुखदायी है। समय बदला तो डायवोर्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पति-पत्नी के बीच कोई ऐसी बात जो दिल को हर्ट कर जाए वही तलाक का कारण बन जाती है। दहेज, शराबखोरी, अत्यधिक महात्वाकांक्षा और खुले विचारों में व्यवधान पैदा होना से पति-पत्नी के बीच तलाक की नौबत आ जाती है। इन सब कारणों के अलावा मौजूदा दौर में अधिकांश तलाक के मामले ऐसे आ रहे जिसमें पति-पत्नी के बीच 'वो' का आ जाना भी प्रमुख कारण है। ऐसे मामलों में सिर्फ तलाक ही नहीं बल्कि कभी-कभी सुसाइड तक की नौबत अा जाती है।
पति की बेवफाई में सुसाइड किया
लालबंगला निवासी योगेश कश्यप की नौबस्ता के एक कारोबारी की बेटी रश्मि से शादी हुई थी। योगेश प्राइवेट बैंक में जॉब करता था। इस दौरान उसकी एक महिलाकर्मी से दोस्ती हो गई और फिर दोनों के बीच अफेयर हो गया। रश्मि को इस बारे में पता चला तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाई। उसका योगेश से अक्सर झगड़ा होने लगा। उसने योगेश को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब उसकी हरकतों में सुधार नहीं हुआ तो रश्मि ने सुसाइड कर लिया। एडवोकेट रुद्र प्रताप सिंह ने बताया कि यह योगेश के खिलाफ आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का मुकदमा कोर्ट में चल रहा है।
'वो' ने शादी को अवैध कराया
किदवईनगर निवासी युवती की एडवोकेट से शादी हुई थी। शादी के दिन युवती के परिवार में किसी की मौत होने से सात फेरे की जगह छह फेरे कराए गए। जिसके बाद युवती ससुराल चली गई। इस बीच युवती को पता चला कि उसके पति के किसी दूसरी युवती से संबंध है तो उसने कोर्ट में केस दाखिल कर दिया। जिसमें सुनवाई के दौरान जब यह सबूत पेश किया गया कि शादी में छह फेरे लिए गए थे तो कोर्ट ने हिंदू लॉ के तहत सात फेरे न होने से शादी को शून्य करार दे दिया। एडवोकेट आनंद जायसवाल ने बताया कि शादी शून्य होने के बाद युवती लॉ की पढ़ाई कर एडवोकेट बन गई।
बेस्ट कपल भी हो गए थे अलग
एडवोकेट शिवाकांत दीक्षित के मुताबिक 80 के दशक में एक बड़े घराने के मैरिज कपल को बेस्ट कपल का खिताब मिला था, लेकिन उनके बीच भी 'वो' आने से तलाक की नौबत आ गई थी। विवाहिता ने पति के दूसरे युवती से संबंध होने का हवाला देकर तलाक के लिए अपील की। विवाहिता ने सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़ा। जहां से उसको न्याय मिला और तलाक हो गया।
अपनों का खून भी बहा चुके
एडवोकेट विनय अवस्थी के मुताबिक ये तीन केस तो बानगी है। अगर कोर्ट में दाखिल मुकदमों में गौर करें तो तलाक की सबसे बड़ी वजह 'पति पत्नी के बीच 'वो' का आना होता है। इस खतरनाक ट्रांयगल में फंस कर कई लोग अपने परिवार को खोने के साथ ही जान भी गवां चुके है, जबकि कुछ लोग अपनों का खून बहा चुके है।
एडजस्टमेंट डिसआॅर्डर है ये
डॉ। उन्नति कुमार के मुताबिक पत्नी-पत्नी के बीच जब कोई तीसरा आता है तो प्रॉब्लम होती है। साइकोलॉजी की लैग्वेज में इस प्रॉब्लम को एडजस्टमेंट डिसऑर्डर कहते है, क्योंकि शादी के पहले ही दिन से पत्नी या पति अपनी नई लाइफ को लेकर तरह-तरह बातें सोच लेते है। उनको पता होता है कि वो जिंदगी भर एक दूसरे के साथ रहेंगे। पर अचानक तीसरा आ जाता है तब ऐसी स्थिति में ये जरूरी है कि महिला हो या पुरुष वो अपने अंदर की अभिव्यक्ति को किसी से जरूर शेयर करें।
मीडिएशन सेंटर ने कई परिवार टूटने से बचाए
काउंसलर विवेक कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट ने तलाक और परिवार को बिखरने से रोकने के लिए मीडिएशन सेंटर की व्यवस्था लागू की है। जिससे कई परिवार बिखरने से बच गए। एडवोकेट आशुतोष शुक्ला टीनू ने बताया कि अब तलाक के पहले मीडिएशन सेंटर में पति पत्नी के बीच सुलह कराने की कोशिश की जाती है। इसके लिए सीनियर एडवोकेट व बुद्धिजीवी पति-पत्नी की काउंसलिंग करते है। जब मीडिएशन सेंटर में में सुलह नहीं हो पाती तब तलाक पर सुनवाइर्1 होती है।
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तलाक की वजह
- दहेज की मांग को लेकर पत्नी को प्रताडि़त करना
- काम या अन्य वजहों से एक दूसरे को समय न दे पाना,
- अतिआधुनिक लाइफ स्टाइल व खुले विचारों में व्यवधान
- पति या पत्नी के लंबे समय तक एक दूसरे से दूर रहने पर
- बहू या दामाद से परिजनों का ठीक तरह से जुड़ाव न होने पर
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रुक सकता है तलाक
- अपने पार्टनर को पर्याप्त समय दें
- छोटी-छोटी बात पर झगड़ा न करें
- दहेज आदि की बात कतई न करें
- झगड़ा होने पर एकदम उग्र न हों
- अपनी बात परिजनों से शेयर करें
- बुजुर्गो को झगड़ा सुलझाने में शामिल करें
- एक-दूसरे के परिवार पर अभद्र टिप्पणी न करें
- लगातार झगड़ा होने पर काउंसलर की मदद लें
- अपने पार्टनर को समझाने की कोशिश करें
- एक-दूसरे की भावनाओं को जरूर समझें
- शादीशुदा जिंदगी में 'वो' से हमेशा दूर रहें
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कोर्ट में पेडिंग विदाई और तलाक के मुकदमे
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