कानपुर (ब्यूरो) कानपुर देहात के माती मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर अरमापुर कॉलोनी निवासी उमेश चौरसिया अपने परिवार के साथ रहते हैं। उमेश चौरसिया बताते हैं कि उनकी बेटी सेजल बचपन से ही पढऩे में होशियार है। 10वीं और 12वीं में उसने न सिर्फ अपने विद्यालय में टॉप किया है। बल्कि जिले में भी अव्वल रही है। इंटरमीडिएट के बाद उसने सीयूईटी की परीक्षा दी थी। जिसमें भी वह पास हो गई और उसे डीयू में दाखिला लेना था। लेकिन एडमिशन फीस के 30 हजार रुपये की व्यवस्था करने में मैं असफल हो गया।
परिवार नहीं कर सका व्यवस्था
उमेश चौरसिया उनकी पत्नी संगीता ने बताया कि दाखिले के लिए 30 हजार विद्यालय में जमा होने थे। जिसकी व्यवस्था करने के लिए तमाम कोशिशें की लेकिन इसका इंतजाम नहीं हो पाया। पूरे परिवार ने बताया कि वह सभी बेटी को आगे बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते अब वह बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि उनकी परिवार की मासिक आय महज 8 हजार ही है। जिसकी वजह से बमुश्किल जीवन कट रहा है। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण आज तक में एक मकान भी नहीं ले पाए हैं और किराए के जर्जर कॉलोनी में रह रहे हैं।
लखनऊ में मुख्यमंत्री ने किया था सम्मानित
कानपुर देहात में जिले में टॉप करने वाली सेजल चौरसिया ने बताया कि उसका सपना दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढऩे का था। एडमिशन को लेकर होने वाले एंट्रेंस एग्जाम को भी उसने पास कर लिया था, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि एंट्रेंस एग्जाम के बाद एक साथ उसे 30 हजार की एडमिशन फीस जमा करनी थी। सेजल ने बताया कि जब उसने अपने पिता को यह बात बताई तो उन्होंने रिश्तेदारों व फैक्ट्री मालिक से भी बात की लेकिन मदद नहीं मिली। सेजल ने बताया कि जब उसने जिले में टॉप किया था, तो उसे मुख्यमंत्री के द्वारा लखनऊ में सम्मानित भी किया गया था। इस दौरान प्रमाण पत्र और मेडल उसे मिले थे, लेकिन आर्थिक मदद नहीं मिली थी।
छात्रा ने सरकार से लगाई गुहार
छात्रा सेजल ने कहा कि जिला प्रशासन उत्तर प्रदेश सरकार से सिर्फ यही कहना चाहती है कि वह पढऩा चाहती है, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसकी पढ़ाई पर संकट है, हो सके तो सरकार उसकी मदद करें, ताकि वह अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा सके।