वर्ष 1980 में अज़ारिया चेंबरलेन नाम की बच्ची गायब हो गई थी। दो साल बाद अदालत ने उसकी मां लिंडी चेंबरलेन-क्रेटन को दोषी करार दिया था लेकिन बाद में वो फैसला खारिज कर दिया गया था। साल 1995 में इस केस की दोबारा जांच हुई थी और उसमें खुला फैसला आया था।

बच्ची की मां और उनके पूर्व पति कहते हैं कि खुले फैसले से उनके उपर लगा संदेह खत्म नहीं होता। दोनों चाहते हैं कि मौत के लिए वहां पाए जाने वाले जंगली कुत्तो को ही जिम्मेदार ठहराया जाए।

इस सिलसिले में उन्होंने डार्विन शहर की एक अदालत को नई जानकारियां दी, जिसमें इंसानों पर जंगली कुत्तों के दूसरे हमलों की बाते बताई गई। ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले इन कुत्तों को डिंगो कहा जाता है।

अफवाहों के शिकार

उनके वकील रेक्स वाइल्ड ने दर्जनों कुत्तो के हमलों के विवरण दिया जिसमें ज्यादातर शिकार बच्चे बने थे। उन्होंने कहा कि अगर 1995 में भी ये सुबूत होते तो भी क्या कुत्तों को ही हत्यारा ठहराया जाता।

सुनवाई के बाद चेंबरलेन क्रेटन ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलियाई लोगों को ये चेतावनी मिलेगी की ये कुत्ते वाकई खतरनाक होतें हैं, मुझे ये भी उम्मीद है कि मेरी बेटी की मौत के बारें अंतिम रिपोर्ट आएगी जिससे ये केस खत्म होगा."

मामला

अजारिया नाम की ये बच्ची उलूरू नामक पर्यटन क्षेत्र से 1980 में गायब हुई थी और तब से सारा ऑस्ट्रेलिया ये सवाल पूछ रहा है कि क्या उसे कुत्ते ले गए ।

1982 में उसकी मां को हत्या का दोषी पाया गया था और उसे उम्रकैद की सजा मिली थी। लेकिन बाद में कुत्तो के अड्डे के पास बच्ची के कपड़े के टुकड़े मिलने के बाद मां-बाप पर से सारे इल्जाम वापस ले लिए गए थे।

लेकिन इसके बावजूद मां-बाप लोगों की फब्तियां और गप के निशाने पर रहे क्योंकि बच्ची को किसने मारा इसका आधिकारिक तौर पर पता नहीं चला था। ये मामला इतना चढ़ा कि इस पर एक फिल्म भी बनाई गई थी जिसका नाम था 'ए क्राई इन द डार्क'।

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