- केडीए-कॉन के आखिरी दिन एक्सपर्ट्स ने डायबिटीज फुट के साथ लीवर पर इसके प्रभावों पर की चर्चा
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KANPUR: डायबिटीज के 10 साल से ज्यादा पुराने पेशेंट्स में डायबिटिक फुट से बचाना बेहद जरूरी है। डायबिटीज के 15 परसेंट पेशेंट्स में यह समस्या होती है। डायबिटिक फुट के शिकार 70 परसेंट पेशेंट्स के पैर काटने तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में डायबिटीज के पेशेंट्स को अपने पैरों का खास तौर पर ध्यान रखना जरूरी है। यह जानकारी सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ। संजय रस्तोगी ने केडीएकॉन-2019 में दी। उन्होंने कहा कि डायबिटीज फुट होने पर इसका इलाज बेहद लंबा और खर्चीला हो जाता है। ऐसे में डायबिटीज पेशेंट पैरों में किसी तरह की चोट या घाव होने से उसे जरूर बचाएं।
फैटी लीवर से ज्यादा खतरा
केडीएकॉन के दूसरे सेशन में सीनियर गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ। वीके मिश्रा ने डायबिटीज पेशेंट्स में फैटी लीवर की प्रॉब्लम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि डायबिटीज के साथ अगर पेशेंट को बीपी और कोलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम है तो उन्हें फैटी लीवर होने की ज्यादा संभावना होती है। अगर इसे ट्रीट नहीं कराया तो लीवर सिरोसिस या लीवर कैंसर होने का भी खतरा पैदा हो जाता है।
फोटो-डाॅ.जिबिन ची
फंडामेंटल मिस्टेक से बचें
स्वीडन से आए डॉ.जिबिन ची ने डायबिटीज में होने वाली फंडामेंटल मिस्टेक्स के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बॉडी की एनर्जी को खर्च करना जरूरी है। इसके साथ ही यह एनर्जी आप कैसे खर्च पा रहे हैं यह भी देखना चाहिए। इस पर कई तरह की साइंटिफिक स्टडीज हुई हैं। लोगों को अपने कैलोरी इनटेक और उसे कितना खर्च करते हैं इसका जरूरी ध्यान रखना चाहिए।
फोटो-डॉ। प्रदीप चौबे
डायबेसिटी से बचना जरूरी
मैक्स हेल्थकेयर के वाइस चेयरमैन व पद्मश्री डॉ.प्रदीप चौबे ने डायबेसिटी और उसके ट्रीटमेंट में बैरियाट्रिक सर्जरी की अहमियत के बारे में बताया। उन्होंने कहा डायबिटीज के 60 परसेंट पेशेंट्स मोटापे का शिकार होते हैं। कम उम्र में डायबिटीज हो तो उसके मैनेजमेंट में और ज्यादा प्रॉब्लम आती है। ऐसे में ओबेसिटी से बचना जरूरी है। मौजूदा दौर में बैरियाट्रिक सर्जरी के जरिए एक महीने में 8 किलो तक वेट कम किया जा सकता है। ऐसा होने पर डायबिटीज भी काफी कंट्रोल्ड रहती है।