कानपुर (ब्यूरो)। हाथों में भगवा ध्वज, जिस पर बनी श्री राम और हनुमान जी की तस्वीर, लबों पर गगनभेदी जय श्री राम के नारे और दिल में भक्ति भावना लिए श्री राम के भक्तों ने जमी और आसमां भगवा से पाट दिया। जिधर नजर गई उधर जय श्री राम के भगवा ध्वज हाथ में लेकर दीवानों की तरह लोग सडक़ पर उतर आए। हर तरफ भक्ति, भंडारे और जयकारे। दोपहर जैसे ही अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा हुई। महिलाओं ढोलक और मंजीरे लेकर सोहर गाते हुए घर से निकल आईं। न कोई चिंता न कोई फिकर बस श्री राम के जन्म की खुशी चेहरों पर दिखाई दी.
आनंदेश्वर में भक्तों का रेला
आनंदेश्वर मंदिर परमट में आने जाने वाले भक्तों को प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम लाइव कवरेज दिखाने का इंतजाम किया गया था। अंदर परिसर में एक बड़ी एलसीडी और बाहर गेट पर दूसरी एलसीडी लगी थी। लोग श्री राम के जयकारे लगाकर भक्ति रस का लुत्फ उठा रहे थे। आने जाने वाले हाथ में राम दरबार की तस्वीर और गगनभेदी नारे, नंगे पैर शिव दरबार में हाजिरी तो लगानी है लेकिन भगवान श्री राम के जयकारे के साथ। यहां मंदिर से चंद कदम की दूरी पर बैरियर लगाया गया था। जहां से लोगों की गाडिय़ां अंदर जाने से रोकी जा रही थीं। जगह-जगह भण्डारा और प्रसाद लेने वालों की लाइन। परमट चौकी में एसीपी महेश कुमार अपनी टीम के साथ मौजूद रहे.
पनकी मंदिर में मनाया उत्सव
श्री राम का नाम लिया जाए और भक्त हनुमान को न पूछा जाए, ऐसा कहीं हो सकता है। पनकी के हनुमान मंदिर में सुबह से ही लोग अपनी हाजिरी लगाने आते दिखाई दिए। गाडिय़ों में भगवा ध्वज और पवनसुत हनुमान के साथ भगवान राम के जयकारे से पूरा पनकी मंदिर परिसर गूंज उठा। यहां सुंदर कांड का पाठ लगातार होता दिखाई दिया। राम दरबार की मनोहारी झांकी और एलसीडी पर अयोध्या का सजीव प्रसारण। बस राम राम रामपूरे मंदिर में बुढवा मंगल की तरह भव्यता दिखाई दी.
घनी आबादी वाले क्षेत्रों के मंदिरों में भी उल्लास
घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थापित मंदिरों में भी श्रीरामोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान मंदिरों में आने वालों का तांता लगा रहा। लाउडस्पीकरों पर श्रीराम की स्तुति में भजन बजते रहे। बांसमंडी, दलेलपुरवा, बजरिया, इफ्तिखाराबाद क्षेत्रों में हर्षोल्लास रहा। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्थापित मंदिरों में सुबह होते ही दर्शन के लिए लोगों का आना शुरू हो गया। मंदिरों को केसरिया गुब्बारों, झंडों से सजाया गया। मंदिर के अंदर भगवान की मूर्तियों का शृंगार किया गया। मंदिरों के बाहर रंगोली सजाई गई। श्रीरामोत्सव व प्राण प्रतिष्ठा की बधाई देने का क्रम भी चलता रहा।