-रेन मैन ऑफ इंडिया शिवकुमार ने लगातार गिरते ग्राउंड वाटर लेवल के लिए इंटरलॉकिंग टाइल्स को बताया जिम्मेदार
-बारिश का एक परसेंट भी पानी धरती पर नहीं जा पाता, छेद वाली टाइल्स या परफेरेटेड पेवर्स ब्लॉक का करना चाहिए यूज
-केडीए में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर सेमिनार, 8,000 रुपए से लगवा सकते हैं वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
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KANPUR : शहर के चारों ओर लगी इंटरलॉकिंग टाइल्स धरती के लिए 'ग्राउंड वॉटर' के लिए काल बनती जा रही हैं। शहर की लगभग हर गली, हर मोहल्ले में फुटपाथ, रोड बनाने में इसे लगाया जा रहा है। लेकिन इससे 1 परसेंट भी पानी धरती में नहीं जा पाता है। इसकी वजह से बारिश में भी ग्राउंड वाटर रीचार्ज नहीं हो पा रहा है। यह कहना है रेन मैन ऑफ इंडिया व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सीनियर साइंटिस्ट शिवकुमार का। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने इसे बेहद घातक बताया। उनके मुताबिक इंटरलॉकिंग टाइल्स लगानी भी हैं तो छेद वाली टाइल्स लगाई जाएं। परफेरेटेड पेवर्स ब्लॉक इसके लिए परफेक्ट हैं। इससे ग्राउंड वाटर भी रीचार्ज होगा।
केडीए में बनेगी हेल्प डेस्क
ट्यूजडे को केडीए में जल संरक्षण को लेकर आयोजित सेमिनार में शिवकुमार ने उद्यमियों, व्यापारियों, होटल मालिकों को जल संरक्षण के बारे में बताया। वहीं केडीए में हेल्प डेस्क बनाई जाएगी। इसमें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लाभ, कैसे लगवाएं, खर्च, डिजाइन आदि के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। मिनिमम 8,000 रुपए में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लोग अपने घरों में लगवा सकते हैं। जमीन से 10 फीट नीचे पाइप डाला जाना चाहिए। यही नहीं आर्किटेक्ट और सिविल इंजीनियर्स को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की पूरी ट्रेनिंग भी दी जाएगी। सेमिनार के दौरान केडीए वीसी किंजल सिंह भी मौजूद रहीं।
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20 सेमी। तक बढ़ा सकते
शहर की हर छत पर अगर यह सिस्टम लग जाए तो एक साल में ग्राउंड वाटर लेवल 20 सेमी। तक बढ़ सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए ग्राउंड वाटर को रीचार्ज किया जाए तो 100 वर्ग मीटर की छत से हर साल 55,000 से 80,000 लीटर पानी स्टोर और रीचार्ज हो सकता है। सरकारी बिल्डिंग की बात करें तो शहर में यह जीआईसी, कमिश्नरी, यूनिवर्सिटी, सीएसए, केडीए आदि में ही लगा है।
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रूफ टॉप हार्वेस्टिंग के लाभ
1. ग्राउंड वाटर में होने वाली गिरावट को कम कर सकते हैं
2. बारिश से मिलने वाले जल का प्रयोग किया जा सकता है।
3. बारिश में सड़कों पर होने वाली जल की बर्बादी रुकेगी।
4. मिट्टी में पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है।
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रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सावधानियां
-इंडस्ट्रियल एरिया और अन्य किसी क्षेत्र में भी प्रदूषित पानी हार्वेस्टिंग सिस्टम में प्रयोग न किया जाए।
-पार्को और खुली जगहों पर इस टेक्निक का प्रयोग नहीं किया जाए और पार्को को साफ रखा जाए।
-बारिश के पानी की उपलब्धता के अनुसार हार्वेस्टिंग सिस्टम की क्षमता तय की जाए।
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वाटर री-साइक्लिंग कर इसमें करें प्रयोग
-खेती
-बागबानी
-पार्को
-कूलिंग प्लांट
-पावर प्लांट
-शौचालय में लगे फ्लश
-भवन निर्माण आदि
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इन टेक्निक से कर सकते हैं वाटर रीचार्ज
1. रीचार्ज पिट
100 वर्गमीटर वाली छत के लिए उपयोगी है। इसका प्रयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहां पानी कम गहराई में उपलब्ध हो। सस्ती और आसान टेक्निक है।
2. रीचार्ज ट्रेंच
200 से 300 वर्गमीटर वाली छत के लिए यह उपयोगी है। यह ऐसे क्षेत्र में प्रयोग होता है जहां कम गहराई में पानी उपलब्ध हो।
3. रीचार्ज वेल
क्षेत्र में पानी की उपलब्धता के आधार पर इसका साइज निर्धारित किया जाता है। रीचार्ज वेल को घर के किनारे बनाया जाता है।
4. रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग
बारिश के पानी को सहेज कर वाटर लेवल रीचार्ज करने के लिए यह सरल टेक्निक है। इसमें सूखा कुआं, अबंडेंट नलकूप और डग कम बोरवेल किया जाता है।
5. स्टोरेज टैंक और रीचार्ज वेल
बहुमंजिली भवन और 400 से 1000 वर्ग मीटर वाली छतों में लगाई जाती है। इससे पानी सीधे रिचार्ज किया जा सकता है।
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तेजी से गिर रहा कानपुर का वाटर लेवल
कानपुर देश के उन 256 जिलों में शामिल है, जहां ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है। यह जानकारी सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से कानपुर आई जल शक्ति अभियान की नोडल ऑफिसर रूपा दत्ता ने दी। उन्होंने बताया कि घाटमपुर, सरसौल, चौबेपुर ब्लॉक सहित कानपुर सिटी की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने रूरल एरियाज के 3 ब्लॉक का निरीक्षण किया। कहा, 100 वर्ग मीटर में बनने वाले मकानों में भी वाटर हार्वेस्टिंग की योजना बनाई जाएगी। तालाब, पोखरे और चेकडैम बनाने की दिशा में तेजी से प्रयास करने होंगे।