ई-मेल के मुताबिक ओसामा का अंतिम संस्कार इस्लामी रीति रिवाजों के तहत किया गया था। समाचार एजेंसी एपी ने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अमरीकी रक्षा विभाग से जो दस्तावेज़ हासिल किए हैं उन्हीं के आधार पर ये बातें सार्वजनिक हुई हैं।
एपी के अनुसार ज्यादातर ई-मेल के मुख्य अंशों पर पाबंदी लगा दी गई है लेकिन इन सबके बावजूद ओसामा बिन लादेन की मौत और उनके अंतिम संस्कार के बारे में अमरीकी सरकार की तरफ़ से पहली बार कोई आधिकारिक सूचना सार्वजनिक की गई है।
पाकिस्तान के ऐबटाबाद शहर में रह रहे लादेन एक मई, 2011 को अमरीकी सेना के एक गुप्त अभियान में मारे गए थे। दो मई को एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के ज़रिए भेजे गए ई-मेल से पता चलता है कि ओसामा का अंतिम संस्कार कैसे हुआ।
ख़ुफ़िया ई-मेल
रियर एडमिरल चार्ल्स गौएट ने अपने मेल में लिखा था, ''मृतक के शव को नहलाने के बाद एक सफ़ेद चादर में लपेटा गया। उसके बाद शव को एक वज़नदार बैग में रखा गया। एक सैन्य अधिकारी ने धार्मिक पाठ किया जिसका एक स्थानीय नागरिक ने अरबी में अनुवाद किया। उसके बाद उनके शव को एक ताबूत में रखकर समुद्र में बहा दिया गया.''
एडमिरल चार्ल्स ने ये ई-मेल तत्कालीन ज्वाइंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ एडमिरल माइक मलेन और यूएस सेंट्रल कमांड के वरिष्ठ अधिकारी जनरल जेम्स मैटिस को भेजा था।
एडमिरल चार्ल्स ने एक दूसरे अधिकारी रियर एडमिरल सैमुएल पेरेज़ से ई-मेल के ज़रिए सवाल पूछा, ''हमारे लिए आ रहे पैकेज के बारे में कोई ख़बर''? रियर एडमिरल पेरेज़ इसका जवाब देते हुए लिखते हैं, ''दोनों ट्रक सुरक्षित हैं और अपने अड्डे की तरफ़ लौट रहे हैं.''
'पारदर्शिता का दावा'
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार ओबामा प्रशासन खु़द को अमरीकी इतिहास में सबसे पारदर्शी सरकार होने का दावा करता है लेकिन ओसामा के मारे जाने से जुड़े दस्तावेज़ों को वो सार्वजनिक नहीं करता है।
एपी ने इसी साल मार्च में सूचना के अधिकार के ज़रिए लादेन के ख़िलाफ़ ऑपरेशन के समय की कुछ तस्वीरों और वीडियो की मांग की थी लेकिन रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई तस्वीर या वीडियो नहीं है।
रक्षा मंत्रालय ने ओसामा के मृत्यु प्रमाण पत्र, उनकी डीएनए जांच रिपोर्ट या ऑपरेशन की तैयारी से जुड़े किसी भी दस्तावेज़ को देने से मना कर दिया। एपी ने रक्षा मंत्रालय के फ़ैसले के विरोध में अपील करने का फ़ैसला किया है।
ओसामा बिन लादेन के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान चलाने के लिए अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए को ख़ास तौर पर क़ानूनी अधिकार दिए गए थे जिनमें ये भी शामिल था कि इस अभियान से जुड़ी सूचना कभी भी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। एपी ने इस बारे में सीआईए से सूचना मांगी तो उन्होंने कुछ भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है।
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