बर्लुसकोनी जहां रंगीन मिज़ाज और विवादास्पद हैं, मोंटी एक जाने-माने अर्थशास्त्री हैं जिनके तार यूरोपीय संघ के चोटी के नेतृत्व से जुड़े हुए हैं। वह एक कड़े वार्ताकार हैं और एक ऐसे विश्वविद्यालय के प्रमुख हैं जहाँ से इटली के बेहतरीन विचारक आते हैं।
उन्हें राजनीति से थोड़ा ऊपर उठ कर देखा जाता है। वह एक ऐसे समय में सत्ता संभाल रहे हैं जब इटली की अर्थव्यवस्था मुश्किलों से उबरने की कोशिश कर रही है।
मारियो मोंटी का जन्म वर्ष 1943 में उत्तरी इटली के नगर वरीस में हुआ था। उन्होंने मिलान और अमरीका के येल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है।
येल में ‘टोबिन टैक्स’ के जनक जेम्स टोबिन ने उन्हें पढ़ाया था। वर्ष 1984 में मिलान विश्वविद्यालय में रेक्टर पद संभालने से पहले मोंटी ने ट्यूरिन विश्वविद्यालय में 15 वर्षों तक अर्थशास्त्र पढ़ाया था।
वर्ष 1994 में उन्हें यूरोपीय संघ के आंतरिक बाज़ार और सेवाओं का आयुक्त बनाया गया था और उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री सिलवियो बर्लुसकोनी ने नामाँकित किया था।
सुपर मारियो
यूरोपीय संघ के अपने दूसरे कार्यकाल (1999-2004 ) के दौरान जिस तरह से उन्होंने 'निहित स्वार्थों' का सामना किया था, उन्हें सुपर मारियो का नाम दिया गया था। उन्होंने जनरल इलेक्ट्रिक और हनावेल के बीच विलय में रोड़ा अटकाया था और जर्मनी के शक्तिशाली क्षेत्रीय बैंकों के ख़िलाफ़ भी मोर्चा सँभाला था।
वर्ष 2004 में यूरोपीय संघ नें माइक्रोसॉफ़्ट पर अपनी प्रभावशाली बाज़ार स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए 32 करोड़ 50 लाख पाउंड का जुर्माना किया था। मोंटी इस समय 68 वर्ष के हैं। हाल में उन्हें यूरोपीय संघ एकल बाज़ार के भविष्य पर रिपोर्ट लिखने की ज़िम्मेदारी दी गई है।
इटली की संसद के निचले सदन के स्पीकर गियानफ़्राँको गिनी उनके बारे में कहते हैं, "उनके पास यूरोप भर का अनुभव है और वह इटली के सबसे सम्मानित लोगों में से एक हैं." इटली को आर्थिक मझधार से बाहर निकालने के लिए मोंटी को आर्थिक कौशल के साथ साथ राजनीतिक कौशल का भी परिचय देना होगा।
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