कानपुर (ब्यूरो) बिकरू कांड के बाद खुशी दुबे का नाम चर्चा में रहा था। इस घटना के दो दिन पहले ही खुशी की शादी गैंगस्टर विकास दुबे के खास गुर्गे अमर दुबे से हुई थी। बिकरू कांड के बाद विकास और उसके साथी फरार हो गए थे। इनमें से कई को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। अमर दुबे को भी पुलिस ने हमीरपुर के नजदीक इनकाउंटर में मार गिराया था। इसके बाद खुशी को बिकरू कांड में सहअभियुक्त बनाते हुए जेल भेजा गया था।
दोनों पक्ष रख चुके हैं दलीलें
खुशी के जेल जाने के बाद उसकी मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम सामने आ गई थी। मामले में जिला कोर्ट और हाईकोर्ट से खुशी की जमानत याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। इसके बाद उसके वकीलों ने सुप्रीमकोर्ट की ओर रुख किया था। करीब एक साल तक सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई है। इस दौरान खुशी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा, बीएस सोढ़ी, शिवाकांत और दीपक बाजपेई अपना पक्ष रख चुके हैं। जिसके विरोध में सरकारी भी वकील अपना पक्ष रख चुके हैं। अब आज खुशी की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
खुशी को बनाया सहअभियुक्त
बता दें कि 2-3 जुलाई 2020 की रात तात्कालीन चौबेपुर सीओ के नेतृत्व में पुलिस फोर्स गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए गई थी। वहां विकास दुबे और उसके गुर्गों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर 8 पुलिसकर्मियों मार डाला था। विकास दुबे के खिलाफ जादेपुर गांव के रहने वाले राहुल तिवारी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले के बाद विकास सहित उसके 4 गुर्गों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था और कई को जेल भेजा था। इनमें खुशी दुबे को भी सहअभियुक्त बनाया गया है। खुशी दुबे के साथ ही 4 अन्य महिलाओं पर भी घटना के समय पुलिस पर हमलावरों को उकसाने का आरोप लगा है।