कानपुर (ब्यूरो) इस बीच कानपुर के 14 स्टूडेंट भी सकुशल घर पहुंच चुके हैं। घरों में खुशियों का माहौल है। वहीं इन छात्रों के चेहरों पर अब भी एक तरह की दहशत है। खौफ का वो मंजर अब भी उनके दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है। इन छात्रों ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के साथ वो पल साझा किए जब इन्हें लग रहा था कि जिंदा अपने घर पहुंच पाएंगे या नहीं?

बिल्डिंग के ऊपर से निकल रहे थे फाइटर जेट
कोपरगंज निवासी शरद त्रिवेदी के घर में उत्सव का माहौल है। होली के पहले ही होली मनाई जा रही है। मनाई भी क्यों न जाए? आखिर मौत के मुुंह से निकलकर बेटी रिद्धि सकुशल घर पहुंच गई हैं। रिद्धि इवानों फ्रैैंकिस नेशनल यूनीवर्सिटी में थर्ड इयर की स्टूडेंट हैैं। बताती हैैं कि उनके फ्लैट से दो किलोमीटर पर इवानो फ्रैैंकिस एयरपोर्ट है। 24 फरवरी की सुबह सात बजे पहला धमाका सुनाई दिया। इसके बाद तो ये सिलसिला बंद ही नहीं हुआ। कुछ देर बाद पता चला कि एयरपोर्ट उड़ा दिया गया है। 25 फरवरी को मॉर्शल लॉ लग गया। एटीएम से रुपये और सुपर मार्केट से लोग सामान समेटने में लग गए। 26 फरवरी की सुबह बस से तीन घंटे में 150 किलोमीटर का सफर तय किया और 7 किमी पैदल चलकर बार्डर पहुंचे। वहां पहले ही से 500 से ज्यादा लोग थे। कहीं बैठने का इंतजाम नहीं था। रिद्धी ने बताया कि बॉर्डर पर यूक्रेनियन और नाइजीरियन को पहले निकाल रहे हैैं। बॉर्डर के गेट से हटाने के लिए घुटने पर गन रखकर लड़कियों को हटाया गया। बाल पकड़कर खींचा भी। 18 घंटे इंतजार के बाद बिजनौर निवासी डॉ। मशकूर चौधरी मिले। उनकी एंबेसी में अच्छी जान पहचान है। उन्होंने कोशिश की तो 27 फरवरी की रात बुखारेस्ट एयरपोर्ट पर पहुंच पाए। एक मार्च को फ्लाइट मिली और दिल्ली लाए गए।
मौत सामने थी, बस दुआएं काम आईं
इवानो फ्रैैंकिस नेशनल यूनीवर्सिटी में फस्र्ट इयर की स्टूडेंट सल्तनत रफी भी देर रात कानपुर पहुंचींं। सल्तनत 29 जनवरी को ही यूक्रेन गई थीं। सल्तनत ने बताया कि यूनीवर्सिटी से दो किमी दूर हॉस्टल था। 24 की सुबह अचानक धमाके के बाद भगदड़ मच गई। लाइट हाउस गिर गया और एयरपोर्ट ध्वस्त होने की जानकारी मिलते ही सभी खाने पीने का सामान बटोरने लगे किसी तरह से 25 का दिन पार हुआ। 26 फरवरी की सुबह बस पकड़ी। हालात से तो एक बार तो लगा कि जिंदा घर तक पहुंच पाएंगे या नहीं। बस ने बॉर्डर से 15 किमीर पहले ही छोड़ दिया। पैदल चलकर बार्डर पहुंचे और लाइन में लग गए। 24 घंटे लाइन में ही बीत गए। दूसरे देशों के लोग निकाले जा रहे थे, विरोध करने पर फायरिंग, पेपर स्प्रे और टियर गैस का इस्तेमाल किया जा रहा था। इंडियन देखकर बाल पकड़कर पीछे खींच दिया जाता था। 27 फरवरी की सुबह 8 बजे बॉर्डर क्रास हो पाया। एक मार्च की रात दिल्ली की फ्लाइट मिली।