मुबारक के खिलाफ़ काहिरा में यह मुकदमा चल रहा है कि उन्होंने आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों को मारने का आदेश दिया था। इस आंदोलन की वजह से उनका तख्तापलट हुआ था। साथ ही मिस्र के पूर्व गृह मंत्री हबीब अल-अदली और छह अन्य मंत्रियों को लेकर भी यही मांग की गई है। फ़रवरी के महीने में मुबारक के हटने से पहले 18 दिन चले हिंसक संघर्ष में 800 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए थे।

'लेनी होगी ज़िम्मेदारी'

समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार सरकारी वकील मुस्तफ़ा ख़ातर ने कहा, ''कोई भी निष्पक्ष न्यायधीश इन सभी के लिए मौत की सज़ा ही सुनाएगा.''

मुख्य वकील ने अदालत से कहा, ''देश के प्रमुख होने के नाते वह कभी भी यह दावा नहीं कर सकते कि जो हो रहा उन्हें उसकी जानकारी नहीं थी.'' उन्होंने आगे कहा, ''वह ज़िम्मेदार हैं और उन्हें इसकी कानूनी और राजनैतिक ज़िम्मेदारी लेनी होगी.''

काहिरा में बीबीसी के संवाददाता के मुताबिक इतने संगीन आरोपों के चलते मौत की सज़ा की माँग हैरान नहीं करती लेकिन मिस्र के बहुत से लोगों को पहली बार इतने स्पष्ट तरीके से की गई इस माँग से झटका ज़रूर लगेगा।

बीबीसी संवाददाता के मुताबिक यह एक अलग सवाल है कि मुबारक को सज़ा मिलती है या उन्हें दोषी पाया जाता है या नहीं। इस बीच वकीलों ने गृह मंत्रालय के सहयोग न करने की शिकायत की है और एक अहम गवाह की ओर से बयान बदलने के चलते मुक़दमा कमज़ोर भी पड़ा है।

वकीलों ने कहा कि उन्होंने 2,000 गवाहों के बयान लिए हैं और उनमें वह पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं जिन्होंने जानकारी दी है कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर इस्तेमाल करने के लिए आधुनिक राइफलों और बंदूकों से लैस किए जाने का आदेश दिया गया था।

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