- विवादित जमीनों पर कब्जे के चक्कर में अब नहीं बिगड़ने दी जाएगी शहर की कानून व्यवस्था
-गुंडा, गैंगस्टर एक्ट लगाने की कार्रवाई करेंगे पुलिस कमिश्नर, शांतिभंग में सुनवाई करेंगे एसीपी
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KANPUR : शहर में कानून व्यवस्था बिगड़ने की अहम वजह जमीन विवाद के मामले भी हैं। शहर में इस तरह के मामलों में मारपीट, फायरिंग से लेकर मर्डर तक हो चुके हैं। इन मामलों में कमी लाने के लिए अब विवादित जमीनों का निस्तारण डीसीपी कोर्ट करेगी। जमीनों को लेकर धारा 145 और 146 की कार्रवाई डीसीपी कोर्ट तय करेगी। इसके अलावा गुंडा और गैंगस्टर एक्ट लगाने की कार्रवाई पुलिस कमिश्नर की कोर्ट तय करेगी। जबकि शांति भंग की धाराओं में आरोपियों की सुनवाई एसीपी की कोटर्1 करेगी।
जमीनी विवादों से है शांतिभंग का खतरा
सीआरपीसी की धारा 145 में कहा गया है कि किसी अचल संपत्ति जैसे भूमि या जल को लेकर विवाद उत्पन्न होते रहते हैं। इससे उत्पन्न विवादों से समाज के भीतर शांति भंग व लोक व्यवस्था भंग होने का खतरा होता है। ऐसे खतरे से निपटने के लिए धारा 145 के तहत सीज करने का प्रावधान है। इसी तरह से धारा 146 सीआरपीसी में अचल संपत्ति से जुड़े विवादों से शांति भंग की संभावना होती है, तो उसमें कार्यवाही करते हुए एक मजिस्ट्रेट एक तारीख पर दोनों पार्टियों को बुलाता है ताकि वे उक्त संपत्ति पर अपने संबंधित दावे मजिस्ट्रेट के सामने रख सकें। ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार डीसीपी कोर्ट को ि1दया गया है।
गुंडा और गैंगस्टर लगाएगी कमिश्नर कोर्ट
वहीं आरोपियों पर गुंडा और गैंगस्टर लगाने की कार्रवाई पुलिस कमिश्नर कोर्ट करेगी। एडिश्नल पुलिस कमिश्नर डॉ। मनोज कुमार ने बताया कि सभी एसीपी, डीसीपी के दफ्तर परिसर में एक कोर्ट रूम की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक डीसीपी दूसरे क्षेत्र के डीसीपी के थानाक्षेत्रों की सुनवाई करेगा। ऐसे ही एसीपी अपने क्षेत्र की सुनवाई नहीं करेंगे। एडिश्नल पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था और हेडक्वाटर का कोई कोर्ट रूम नहीं होगा। वह सिर्फ पुलिस कमिश्नर की ओर से जारी किए गए आदेशों का अनुपालन कराने का कार्य करेंगे।
ट्रांसफर को लेकर भी बदले अधिकार
पुरानी व्यवस्था में सिपाही से सीओ तक का कार्यक्षेत्र बदलने का अधिकार एसएसपी के पास था, वहीं कमिश्नरेट सिस्टम में सीओ या थानेदारों के तबादले पुलिस आयुक्त करेंगे। वहीं चौकी प्रभारी व सिपाहियों के तबादले क्षेत्र के डीसीपी करेंगे। डेढ़ दशक पहले तक एडिशनल एसपी अपने क्षेत्रों में चौकी प्रभारियों का तबादला करते थे, लेकिन समय-समय पर हुए बदलाव के बाद तबादलों के सारे अधिकार कप्तान के ही पास थे। मौजूदा व्यवस्था में तबादलों के मामले में अपर पुलिस आयुक्त की संस्तुति भी खासी महत्वपूर्ण होगी। जोन या जोन से बाहर तबादलों के लिए अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस आयुक्त के पास कार्रवाई की संस्तुति और डीसीपी को आदेशित कर सकेगा।