कानपुर (ब्यूरो)। अगर आपको सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर विदेश में हाई पैकेज पर जॉब ऑफर करे और कंपनी वीजा देने को भी तैयार हो। कंपनी कंबोडिया, थाईलैड और वियतनाम की है तो अलर्टनेस के साथ आगे कदम बढ़ाइएगा। वरना बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। क्योंकि इन देशों की कई कंपनियां युवाओं को झांसा देकर विजिटिंग वीजा पर अपने देश बुलाती हैं और फिर पासपोर्ट व अन्य डॉक्यूमेंट कब्जे में लेकर बंधक बना लेती हैं। इसके बाद इनर युवाओं को जबरन साइबर ठगी के काम में लगा दिया जाता है। यूपी के 2946 युवा इन कंपनियों के चंगुल में फंसे हुए हैं। जिनमें 78 कानपुर के हैं। इनमें से 31 की जानकारी यूपी गवर्नमेंट ने कानपुर कमिश्नरेट से शेयर की है।
जमा करा लिया पासपोर्ट
कमिश्नरेट पुलिस के मुताबिक, नौकरी की तलाश में बड़ी संख्या में यूथ कंबोडिया, थाईलैड और वियतनाम आदि देशों में तीन महीने के विजिटिंग वीजा पर नौकरी के लिए दो साल पहले गए थे लेकिन वापस लौटकर नहीं आए है। यूपी के इन 2946 यूथ्स में 31 कानपुराइट्स भी शामिल हैैं। चकेरी, कल्याणपुर और स्वरूप नगर के कुछ पीडि़त परिवारों ने पुलिस को जानकारी दी है कि उनके बच्चों को दूसरे देश में नौकरी करने के दौरान बंधक बना लिए गए है। इनके सारे कागजात भी कंपनियों ने अपने पास रख लिए हैं। इनसे गैरकानूनी काम करवाए जा रहे हैं।
सरकार जुटा रही है जानकारी
यूपी सरकार की ओर से जुलाई के फस्र्ट वीक में सभी जिलों को लेटर भेजकर सतर्कता बरतने के लिए निर्देश दिए गए। जिसके बाद कानपुर कमिश्नरेट ने भी अपने जिले से गुम हुए 31 युवाओं की जानकारी करने के लिए लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) से संपर्क किया। पुलिस अधिकारियों की मानें तो ये सारी जानकारी कलेक्ट करने के बाद यूपी सरकार के विदेश विभाग को भेजनी है, जिसके बाद यूपी सरकार संबंधित देशों की एंम्बेसी में बात करके 31 कानपुराइट्स को कानपुर लाने की कवायद शुरू करेगी। पुलिस सूत्रों की मानें तो दो साल से इन यूथ को विदेश में बंधक बनाकर रखा हुआ है। ये लोग तीन-तीन माह के विजिङ्क्षटग वीजा पर वहां गए मगर, लौटे नहीं। कुछ लोगों ने अपने फैमिली मेंबर्स को चोरी छिपे कॉल कर हकीकत बताई। जिसके बाद फैमिली मेंबर्स ने पुलिस और यूपी सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
यूपी के यूथ की डिमांड
झारखंड के जामताड़ा के बाद यूपी के कुछ शहर साइबर ठगी के मामलों में टॉप पर है, जिसकी वजह से विदेशी साइबर ठगों के सिंडिकेट में यूपी के यूथ की मांग ज्यादा है। कानपुर को भी मिनी जामताड़ा कहा जाता है, इसी वजह से कानपुर के यूथ्स की मांग भी है। बीते 40 दिनों की जांच में अब तक 31 मामले सामने आए हैैं। जबकि यूपी सरकार के विदेश विभाग के आंकड़ों की मानें तो ये संख्या 78 है। शातिर दिमाग और किसी भी चीज को बहुत जल्दी कैच करने की कैपेसिटी रखने की वजह से यूपी के लोगों की मांग ज्यादा होती है।
अच्छी हिंदी बोलने के कारण
पुलिस सोर्सेस की माने तो कंबोडिया, थाईलैंड व वियतनाम में साइबर ठगी के अलग-अलग सिंडिकेट बने हुए है। ये जिस देश को अपना टारगेट बनाते है, उसी देश के युवाओं को सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर अच्छी सैलरी पर विदेश में नौकरी का झांसा देते है। तरह तरह के लुभावने ऑफर देकर तीन महीने के विजिटिंग वीजा पर उन्हें अपने देश में बुलाते है। इसके बाद उनका पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लेते है। एक महीने उन्हें इंडियंस से बात करने की ट्रे्निंग दी जाती है, उसके बाद उनको ठगी के काम पर लगा दिया जाता है। अच्छी हिंदी बोलने और शहरों के नाम की जानकारी होने की वजह से इनको इस काम में लगाया जाता है। भाषा की जानकारी होने की वजह से इन पर जल्दी शक नहीं हो पाता है और ये कम समय में शिकार को फांस लेते है।
तीन महीने के वीजे पर गए, दो साल बाद भी नहीं लौटे
एलआईयू ऑफिस से मिली जानकारी के मुताबिक मीरपुर निवासी सुमित कुमार के पिता रेलवे डिर्पामेंट में इम्पलाई है। सुमित 21 मई 2024 को विजिटिंग वीजा पर कंबोडिया गया था, जहां से दो साल से वापस नहीं आया। वहीं चकेरी के कोयला नगर निवासी पुलिस विभाग में तैनात शिवकुमार का बेटा भी कंबोडिया में इस सिंडिकेट में फंस गया है। नौबस्ता निवासी गया प्रसाद अवस्थी का बेटा संजय अवस्थी भी वियतनाम में इन्हीं ठगों के गैग के चंगुल में है। वहीं कारवालों नगर निवासी मांटू अग्रवाल थाईलैैंड मे साइबर ठगों के लिए काम कर रहा है।
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-होम मिनिस्ट्री ने ऐसे कई मामलों का रिव्यू करने के बाद जुलाई में सभी स्टेट गवर्नमेंट्स को सूचना भेजी थी। बताया कि गया कि ये देश साइबर ठगी के नए हॉटस्पाट बन रहे हैं। यहां कानपुर के कुछ युवक फंसे है, इसकी जानकारी एलआईयू से मांगी गई है, जिसके बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी।
आशीष श्रीवास्तव, डीसीपी क्राइम कानपुर कमिश्नरेट