कानपुर (ब्यूरो) यूनिवर्सिटी ने यह जिम्मेदारी एडेड कॉलेज के प्रिंसिपल को दी है। उनके साथ दो सहयोगी प्रोफेसर और रहेंगे। एक टीम को 20 से 25 सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों का निरीक्षण करना है। इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर यूनिवर्सिटी को सौंपी जाएगी।

आउटर के कॉलेजों की शिकायतें
विभागीय लोगों के मुताबिक शहरी क्षेत्र में सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में तो हाल कुछ हद तक ठीक हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में तो पूरे साल सन्नाटा रहता है। सिर्फ चपरासी और बाबू ही कॉलेज का संचालन कर रहे हैं न तो वहां टीचर आते हैं और न ही प्रिंसिपल। ठेके पर पढ़ाई हो रही है।

कागजों में कोटा फुल
सेल्फ फाइनेंस कॉलेज में बीए, बीएससी, बीकॉम सहित अन्य संचालित कोर्सों में मानक मुताबिक टीचर्स की सूची यूनिवर्सिटी में अपडेट है। किसी कॉलेज में बीस टीचर का स्टाफ है तो किसी में 50 का। लेकिन धरातल पर स्थितियां कुछ और ही दिखती हैं। कुछ बड़े कॉलेजों के प्रिंसिपल ने निरीक्षण शुरू भी कर दिया है जिनकी रिपोर्ट काफी निगेटिव है।

सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में निरीक्षण कराने के लिए टीमें गठित की गई हैं। कई कॉलेजों में शिकायतें मिल रही हैं। जांच कमेटी जो रिपोर्ट देगी उसी के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
डॉ। राजेश कुमार द्विवेदी, निदेशक, सीडीसी

प्वाइंटर :
700 से अधिक कॉलेज यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड
500 से अधिक सेल्फ फाइनेंस कॉलेज
07 लाख से अधिक स्टूडेंट्स कर रहे पढ़ाई