कानपुर (ब्यूरो)। आमतौर पर बिजली का प्रोडक्शन कोयले से किया जाता है। समय बीतने के साथ साथ कोयला कम हो रहा और इससे इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन में एनवायरमेंट में कार्बन इमीशन भी बड़ी मात्रा में होता है जो कि बेहद नुकसानदायक है। एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की जिम्मेदारी होती है कि वह कुछ ऐसा करें, जिससे जरूरतें भी भी पूरी हों और एनवायरमेंट भी सेफ रहे। ऐसे मेें सिटी के लिए सीएसजेएमयू नजीर बनकर सामने आया है। यहां पर सोलर पावर के जरिए कैंपस के अंदर 26 बिल्डिंग्स में बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे सीएसजेएमयू एक साल में 2.76 करोड़ रुपए बिजली का बिल बचा रहा है।
कार्बन एमीशन भी रुक रहा
इलेक्ट्रीसिटी प्रोडक्शन से एनवायरमेंट में सीओ2 निकलती है जो कि कार्बन एमीशन को बढ़ाती है। सीएसजेएमयू के आंकड़ों की माने तो इनके सोलर प्लांट से जितनी इलेक्ट्रीसिटी जेनरेट हो रही है, उससे 28 लाख 69 हजार 776 किलो सीओ2 से होने वाले कार्बन एमीशन को रोका जा रहा है। चूंकि यहां पर सोलर के जरिए इलेक्ट्रीसिटी जेनरेट हो रही है ऐसे मेें कार्बन एमीशन जीरो है।
कैंपस में ही हो रहा यूज
कैंपस की 26 बिल्डिंगों में 4550 सोलर पैनल लगे हैैं। इन पैनल्स के जरिए डेली 9828 किलोवाट को जेनरेट किया जा रहा है। इस इलेक्ट्रीसिटी का यूज कैंपस में हो रहा है। इससे सबसे बड़ा बेनीफिट यह है कि जहां जहां यह पैनल लगे हैैं वहां पर इलेक्ट्रीसिटी का यूज सोलर पावर के जरिए जेनरेट इलेक्ट्रीक से हो रहा है।
सूरज की रोशनी का हो रहा यूज
सूरज की रोशनी तो हर जगह उजाला कर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि रोशनी और एनर्जी का यूज कितने लोग कर पा रहे हैैं। सोलर पावर के जरिए सूरज की रोशनी में मौजूद एनर्जी को सोलर पैनल के जरिए इलेक्ट्रीसिटी में चेंज करना कोई बड़ी नहीं बल्कि एक दूरदर्शी सोच है।
इन बिल्ंिडग्स में लगे सोलर पैनल
कोडिंग बिल्ंिडग, मूल्यांकन बिल्ंिडग, स्कूल ऑफ लैैंग्वेजेज, एडमिन बिल्डिंग, एसबीआई बिल्डिंग, इनोवेशन एंड शापिंग कॉम्प्लेक्स, गंगा हास्टल, त्रिवेणी हास्टल, सरस्वती हास्टल, पैरामेडिकल बिल्डिंग, आईबीएम ओल्ड बिल्डिंग, लाइब्रेरी, यूआईईटी एकेडमिक, लेक्चर हॉल, यूआईईटी 3, यूआईईटी 4, कंप्यूटर सेंटर, बायोटेक्नोलॉजी, फार्मेसी, इंटरनेशनल सेंटर, फाइन आर्ट, आईबीएम न्यू बिल्डिंग, शिवाजी हास्टल 1 और 2, शिवाजी हास्टल 3 और 4, शिवाजी हास्टल 5 और 6 और एसएससी बिल्डिंग।