- देश की एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटीज की लिस्ट में 53 से 43वें स्थान पर पहुंचा
-आईसीएआर ने जारी की रैंकिंग, एजुकेशन, रिसर्च वर्क, सेमिनार से मिली उपलब्धि
KANPUR: आईसीएआर की ओर से एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज की लिस्ट में सीएसए ने 10 कदम की छलांग लगाई है। एजुकेशनल वर्क, रिसर्च, टेक्निक और सेमिनार के चलते यूनिवर्सिटी को इस बार 43वां स्थान मिला है जबकि पिछले साथ 53वीं रैंक मिली थी। शानदार उपलब्धि पर सीएसए वीसी डॉ। डीआर सिंह ने फैकल्टी, स्टूडेंट्स और रिसर्चर्स को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही यूनिवर्सिटी में कई तरह के और प्रोजेक्ट लाए जाएंगे।
रिसर्च में पूरा सहयोग
वीसी ने बताया कि अचीवमेंट से सभी को मनोबल बढ़ा है। स्टूडेंट्स को और भी बेहतर शिक्षा मिलेगी और उन्हें रिसर्च के लिए पूरा सहयोग दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी किसानों की दोगुनी आय के लिए काम कर रहा है। यहां की तकनीक को गांवों तक पहुंचाया जा रहा है।
किस यूनिवर्सिटी को कौन सा स्थान?
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, नई दिल्ली की ओर से जारी रैंकिंग लिस्ट में सबसे आगे करनाल का नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट है, जबकि दूसरे नंबर पर लुधियाना की पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी है। तीसरे नंबर पर नई दिल्ली का भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान है। बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी को 58 वीं और अयोध्या एग्रीकल्चर एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी की 61 वीं रैं¨कग है। प्रदेश में सबसे ऊपर सरदार वल्लभ भाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी है। उसकी 17 वीं रैं¨कग अाई है।
किसानों की दोगुनी आय पर काम
निदेशक रिसर्च डॉ। एचजी प्रकाश ने बताया कि इस वर्ष प्ला¨नग के अंतर्गत काम किया गया, जिसका लाभ रैं¨कग के सुधार के रूप में मिला है। कई तरह की उपलब्धियों यूनिवर्सिटी के नाम पर हैं।
इन प्रयासों से मिली कामयाबी
- अलसी की दो और मूंगफली की एक प्रजाति विकसित की।
- 20 करोड़ के नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ।
- नेशनल कॉम्पटीशन में यूनिवर्सिटी के दो स्टूडेंट्स को मिले मेडल
- 60 से अधिक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए
- 11 एग्रीकल्चर टेक्निक विकसित की
- 05 हजार किसानों को प्रशिक्षण मिला