- सीसीटीवी फुटेज चेक करने पर वाहनों ने नंबर मिले फर्जी
- ईरानी गैंग ने भी कई वारदातों में यूज किए चोरी के वाहन
kanpur : शहर में बंटी- बबली और ईरानी गैंग एक्टिव है। बीते एक महीने से लगातार गिरोह कई वारदातों को अंजाम दे चुका है। पीडि़त की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर जब मामले की सीसीटीवी फुटेज निकाले गए तो पुलिस के हाथ सफलता का सूत्र लग गया। जब मिले गाड़ी नंबर की जांच की गई तो पता चला कि ये गाड़ी दूसरे जिले से चोरी करके लाई गई थी। इसके बाद से पुलिस की जांच क्राइम ब्रांच के हाथ चली गई। लेकिन मामला जहां का तहां पड़ा हुआ है। इन मामलों के खुलासे के लिए टीम लगी हुई है, लेकिन पुलिस के हाथ चोरी के वाहन इस्तेमाल करने की वजह से आज भी खाली हैं।
जेवर साफ करने के बहाने
चकेरी थानाक्षेत्र के सनिगवां इलाके में जेवर साफ करने के बहाने बंटी और बबली बैंक कर्मी के घर पहुंचे थे। इनके घर में पहुंचने के समय केवल सीनियर सिटीजन महिला थी। जेवर साफ करने के दौरान पहचान होने पर बंटी और बबली जेवर लेकर भाग खड़े हुए। इस दौरान वे अपनी स्कूटी छोड़ गए। जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि स्कूटी दो दिन पहले स्वरूप नगर इलाके से चोरी की गई थी।
गाड़ी का नंबर फर्जी था
गोविंद नगर थानाक्षेत्र के छह ब्लाक निवासी कपड़ा कारोबारी के घर उनकी पत्नी अकेली थीं। इसी दौरान बंटी बबली गैंग ने उनके घर में इन्ट्री कर दी। इस बार शातिरों ने कटोरे में जो केमिकल डाला उससे उठने वाले धुएं से महिला बेहोश हो गई। शातिर घर का सामान समेट रहे थे कि सीनियर सिटीजन महिला की नींद खुल गई। भागते हुए शातिर महिला पर नशीला स्प्रे कर गए। आस पास लगे सीसीटीवी में मिले बाइक नंबर की जांच की गई तो पता चला कि गाड़ी का नंबर फर्जी था।
बैग की तलाशी लेने के नाम पर
शहर में दो महीने पहले ईरानी गैंग ने दो वारदातों को अंजाम दिया था। पहली वारदात कलक्टरगंज थाना क्षेत्र में हुई जहां बाइक सवार ईरानी गैंग के बदमाशों ने बैग की तलाशी लेने के नाम पर नकदी पार कर दी। इसी तरह की दूसरी वारदात अनवरगंज इलाके में हुई। जिसमें ईरानी गैंग के शातिरों ने कन्नौज निवासी कारोबारी बैग से रुपये पार कर दिए। इन दोनों वारदातों में जो गाड़ी प्रयोग की गई, वह भी चोरी की थी। जांच क्राइम ब्रांच के पास चल रही है, लेकिन ईरानी गैंग का पता नहीं चला।
चोरी की गाडि़यां दर्जनों वारदातों में यूज
ये कुछ वारदातें तो महज उदाहरण थीं। इसके अलावा न जाने कितनी वारदातें ऐसी हैं जिनमें चोरी के व्हीकल्स इस्तेमाल की जा रही हैं। मोबाइल छिनैती, लूट और चोरी में जिन वाहनों का इस्तेमाल किए गए हैं, उन वाहनों का नंबर ट्रेस करने पर चोरी के मिले हैं। छेड़छाड़ की सनसनीखेज वारदातों में जो गाडि़यां इस्तेमाल की जा रही हैं वे भी चोरी की हैं।
(बाक्स बनाए)
कम दाम में मिलती हैं गाडि़यां
बीते दिनों क्राइम ब्रांच ने ऑटो लिफ्टर्स गैंग का खुलासा किया। 20 से ज्यादा चोरी की गाडि़यां बरामद की गई थीं। पकड़े गए चोरों ने खुलासा किया कि वाहन चोरी के बाद जो गाडि़यां काफी दिनों तक रुकी रहती हैं, उन गाडि़यों के फर्जी कागज बनाकर कम दाम में बेच देते थे। इन्हीं गाडि़यों से क्राइम की वारदातों को अंजाम दिया जाता था।
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'' इस बात की जानकारी मिली है कि क्राइम में चोरी के वाहन इस्तेमाल किए जा रहे हैं। क्राइम ब्रांच की टीम ऑटो लिफ्टर्स की तलाश में लगी है। साथ ही चेकिंग के दौरान ध्यान रखा जाएगा कि चोरी के वाहन ज्यादा से ज्यादा पकड़े जाएं.''
असीम अरुण, सीपी कानपुर