कानपुर (ब्यूरो)। कैंट में ई-रिक्शा के विवाद में दंपती को ङ्क्षजदा जलाकर मार देने के मामले में बुधवार को परिजनों ने पुरानी चुंगी के पास दोनों शव रखकर रोड जाम कर दिया। पीडि़त परिवार ने क्षेत्रीय लोगों के साथ मिलकर दंपती के बेटियों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा किया। सूचना पर मौके पर एसीपी कैंट शिवा ङ्क्षसह सर्किल के फोर्स के साथ पहुंची और बच्चियों को सरकारी मदद दिलाने की बात कहकर नाराज परिजनों को शांत कराया। इस दौरान करीब एक घंटे ट्रैफिक बाधित था।


ये थी घटना
कैंट के बदलीपुरवा निवासी 45 साल के रामकुमार, पत्नी सपना, 17 साल की बेटी पायल, 12 साल की बेटी मानवी के साथ रहते थे। परिजनों के मुताबिक कोविड काल के दौरान रामकुमार की बुआ का निधन हो गया था, जिसके बाद फूफा 73 साल के राम नारायण भी उनके घर में आकर रहने लगे। कुछ दिनों पहले रामनारायण ने ई-रिक्शा निकलवाया था। बीते कुछ दिनों के बीच ई-रिक्शा को लेकर दोनों में विवाद चल रहा था। मंगलवार को राम नारायण ने पेट्रोल डालकर रामकुमार को आग लगा दी थी। बचाने के दौरान उसने रामकुमार की पत्नी सपना को भी जला दिया। वहीं दोनों को बचाने की कोशिश में रामकुमार की चचेरी बहन मोनिका भी झुलस गई। उपचार के दौरान दंपती की मौत हो गई, जबकि मोनिका का इलाज चल रहा है।


10 लाख रुपये की आर्थिक मदद की मांग को लेकर लगाया जाम
बुधवार की दोपहर करीब एक बजे पोस्टमार्टम होने के बाद परिजन शव लेकर घर पहुंचे। दंपती कीच्बच्चियों की पढ़ाई और 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद की मांग को लेकर परिजनों व क्षेत्रीय लोगों ने जाजमऊ पुरानी चुंगी के पास दंपती के शव रखकर जाम लगा दिया। हंगाम की सूचना पर एसीपी कैंट शिवाजी सर्किल की फोर्स के साथ मौके पर पहुंची। करीब एक घंटे तक बातचीत के बाद अधिकारियों नच् बच्चों को आर्थिक व पढ़ाई की सरकारी मदद कराने की बात कहकर मामला शांत कराया। जिसके बाद परिजन दंपत्ती के शव को अंतिम संस्कार के लिए डबकेश्वर घाट ले गए। जहां रामकुमार के छोटे भाई अजय ने दंपती को मुखाग्नि दी।


थर्ड डिग्री बर्न से हुई सपना और पति रामकुमार की मौत
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सपना के 90 ओर पति रामकुमार की 60 फीसद जलने से मौत की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों के अनुसार जलने की ये अवस्था थर्ड डिग्री है। फस्र्ट डिग्री बर्न में त्वचा की पहली सतह एपिडर्मिस और सेकेंड डिग्री में दूसरी सतह डर्मिस प्रभावित होती है। थर्ड डिग्री में त्वचा की पहली और दूसरी सतह के साथ ही तंत्रिकाओं के सिरे, रक्त वाहिकाएं, पसीने की ग्रंथियां और रोम छिद्र प्रभावित हो जाते हैं। इस दौरान बने घावों में दर्द बहुत ही कम होता है, क्योंकि इसमें तंत्रिकाओं के सिरे क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं और खून का संचार बाधित हो जाता है। इसके साथ ही इस स्थिति में डिहाइड्रेशन (पानी की कमीं) काफी ज्यादा हो जाती है जिससे अंत में मरीज की मौत हो जाती है।