- अमृतसर के अरबन कमेटी सेंटर में क्वारंटीन हैं शमसुद्दीन
- डीजे आई नेक्स्ट से खास बातचीत में शमसुद्दीन ने बयां किया दर्द
KANPUR : पाकिस्तान की यातनाएं सह कर हिंदुस्तान लौटे शमसुद्दीन की कहानी भी गदर फिल्म के किरदार तारा सिंह से मिलती जुलती हैं। फर्क केवल इतना है कि तारा सिंह अपनी पत्नी शकीना से बेटे को मिलवाने बिना पासपोर्ट और वीजा के पाकिस्तान पहुंच गया था और शमसुद्दीन रोजी रोटी की तलाश में पड़ोसी मुल्क में गया था। अमृतसर के नारायणपुर के अरबन कमेटी सेंटर में क्वारंटीन पूरा होने का इंतजार कर रहे शमसुद्दीन ने थर्सडे को आई नेक्स्ट के रिपोर्टर से अपना दर्द बयां किया। जुल्मों की इंतिहा के उन पलों को याद कर शमसुद्दीन फोन पर रो पड़े। शमसुद्दीन के मुताबिक वह महीनों तक रोशनी नहीं देख सके।
इंडियन मुस्लिम को मिलता दर्द
शमसुद्दीन ने बताया कि उसे जेल में रहने के दौरान तमाम यातनाएं दी गईं। पड़ोसी मुल्क में इंडियन मुस्लिम की हालत बताते हुए उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान में मुस्लिम की जितनी आजादी है उतनी आजादी पाकिस्तान में नहीं है। भारतीय जासूस का तमगा लगने के बाद उसे पाकिस्तानी जेल में डाल दिया गया। जहां उससे पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ की। रात के अंधेरे में उसे ले जाया जाता था। अज्ञात जगह पर अंधेरे में पूछताछ की जाती थी। इन दिनों का दर्द याद करते हुए शमसुद्दीन आज भी सिहर उठता है। शरीर पर अमानवीयता के निशान पुराने जरूर हो गए, लेकिन अभी भी जिंदा हैं। महीनों नींद पूरी न होने की वजह से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। घर वालों से बात कराने का लालच देकर उससे भारतीय जासूस का कबूलनामा कराया जा रहा था। महीनों भरपेट खाना भी नहीं दिया गया।
अल्लाह किसी को ऐसे दिन न दिखाए
शमसुद्दीन की मानें तो उसका परिवार गरीब था। वही परिवार की बेहतरी के लिए गया था। उसे पता होता तो वह कभी न जाता। शमसुद्दीन ने बताया कि उसने लाख सफाई दी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। अपने बेगुनाह होने का सुबूत भी वह न दे सका। उन्होंने बताया कि अच्छी जिंदगी की तलाश में पाकिस्तान जाने की सजा उन्हें 28 साल तक भुगतनी पड़ी। उन्हें जरा भी इसका अनुमान होता कि गैर मुल्क में वषरें तक कैदी बनकर रहना पड़ेगा तो वे अपने वतन से शायद ही वहां जाते, भले ही अपने देश में गरीबी की जिंदगी गुजर-बसर करनी पड़ती। पाकिस्तान से 28 साल बाद लौट रहे शमसुद्दीन की दर्दभरी दास्तां बयां की तो सुनने वालों का भी दिल भर आया।
पहले दी नागरिकता फिर जासूस बताया
शमसुद्दीन ने बताया कि पाकिस्तान जाते ही उनके खराब दिन शुरू हो गए थे। वतन छूटने के साथ ही बीवी का साथ भी नहीं रहा। पाकिस्तानी नागरिकता मिलने के बाद भी उन्हें भारतीय जासूस बताकर जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। ऐसे मुल्क से कोई संबंध रखने से क्या फायदा? शमसुद्दीन पाकिस्तान जाने से पहले जूते के अपर बनाकर खुद, अपनी बीवी व बच्चों के साथ परिवार के सदस्यों की गुजर-बसर करते थे। उन्होंने बताया कि देश की अहमियत उन्हें वहां और समझ में आई।
पासपोर्ट के साथ जिंदगी खाक
30 साल बाद 26 अक्टूबर को पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर घर आने की खुशी में कंघी मोहाल के बेरी हाता निवासी उनके परिजन उनके मिलने की चाह में परिजन बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल अभी शमसुद्दीन छेरहटा के नरायणगढ़ (अमृतसर, पंजाब) के अर्बन कम्युनिटी हेल्ट सेंटर में क्वारंटीन किए गए हैं। शमसुद्दीन ने बताया कि वे 30 साल पहले वह मोहल्ले के रहने वाले सैदुल्लाह साहब की बेटी और दामाद के साथ पाकिस्तान घूमने गए थे। इसके बाद से वे वापस नही लौटे। पता चला कि वह जिसके साथ गए थे। उसके घर में आग लग गई। वहां आगजनी में पासपोर्ट के साथ बैग में रखा उनका सारा सामान जल गया था। जिसके चलते वह पाकिस्तान में ही फंस गए थे।