कानपुर(ब्यूरो)। प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति में चमकने वाले सिटी के कई सितारों ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत कारपोरेटर बनकर की। फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। पब्लिक के बीच पैठ बनाकर राजनीतिक ऊंचाईयों पर चढ़ते चले गए। कारपोरेटर के साथ एमएलए, एमपी बने। स्टेट ही नहीं नेशनल लेवल की पालिटिक्स में अपनी छाप छोडऩे में कामयाब रहे। इनमें से कई तो सेंट्रल गवर्नमेंट में मिनिस्टर बनकर अहम डिसीजन लेकर पब्लिक को राहत दिलाई।
सुशीला रोहतगी: दो बार रही सेंट्रल मिनिस्टर
ऐसे ही नामों में एक है सुशीला रोहतगी। पूर्व सभासद शंकर दत्त मिश्रा के मुताबिक प। मदनमाोहन मालवीय की प्रपौत्री सुशीला रोहतगी 1959-60 में कारपोरेटर चुनी गई। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर रही सुशीला रोहतगी बिल्हौर से सांसद भी चुनी गई। राज्यसभा सांसद भी रही। उन्होंने 1971 व 1985 में बनी सेंट्रल गवर्नमेंट में वित्त राज्यमंत्री और शिक्षा एवं संस्कृति राज्यमंत्री की कुर्सी भी संभाली।
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कमलरानी वरुण: सांसद, विधायक और मिनिस्टर
एक्स कारपोरेटर मदन भाटिया के मुताबिक कमलरानी वरुण ने भी राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1989 में पार्षद का चुनाव जीतकर की थी। दो बार पार्षद के अलावा 1996 में घाटमपुर से सांसद भी बनी। सांसद रहते उन्होंने लेबर एंड वेलफेयर, इंडस्ट्री, महिला सशक्तिकरण, राजभाषा पर्यटन मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समितियों में काम किया। 2017 में घाटमपुर से एमएलए चुनी गई और तत्कालीन स्टेट स्टेट गवर्नमेंट में टेक्निकल एजूकेशन मिनिस्टर की कुर्सी संभाली।
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चौ। हरमोहन सिंह यादव: सभासद से राज्यसभा तक
इसी कड़ी में एक और नाम चौधरी हरमोहन सिंह यादव का जो राज्यसभा सांसद भी रहे। उन्हें दंगों में सिखों की जान बचाने के लिए शौर्य चक्र से भी सम्मानित किया। यूपी गवर्नमेंट लेबर, जस्टिस और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रहे मनोहर लाल ने भी अपने राजनीतिक जीवन की सभासद का चुनाव जीत कर की। 1959-60 वह सभासद बने। इसके बाद वह कैंट असेंबली सीट से एमएलए बने। 1977 में कानपुर के एमपी भी चुने गए
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अब्दुल रहमान खां नश्तर: चार बार रहे कैबिनेट मिनिस्टर
इसी तरह चार बार प्रदेश में कैबिनेट मिनिस्टर रहे अब्दुल रहमान खां नश्तर ने 1974 में आर्य नगर सीट से असेंबली इलेक्शन जीतकर विधायक बने थे। इससे पहले वह सभासद थे और नगर महापालिका की इंजीनियरिंग, विक्रय संबंधी नीति निर्धारण समिति व उपसमितियों आदि के अध्यक्ष,सदस्य रहे। इसी कड़ी में कई और भी नाम हैं, जिनमें शिवलाल वाल्मीकि, राजबहादुर चंदेल, जवाहरलाल जाटव, दीपक कुमार, वीरेन्द्र बहादुर सिंह चंदेल आदि शामिल हैं।
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कस्तूरबा गांधी ने दी पार्षद की उपाधि
पदमश्री श्यामलाल गुप्त को पार्षद की उपाधि कस्तूरबा गांधी ने दी। वह महात्मा गांधी व गणेश शंकर विद्यार्थी के साथ झंडा गीत के रचयिता श्यामलाल गुप्त से मिलने नरवल गई है। गणेश शंकर विद्यार्थी ने उन्हें बापू की सेवा में नियुक्त किया था। प्रधानसेवक होने के नाते कस्तूरबा गांधी उन्हें पार्षद की उपाधि दी थी। अब सभासद को पार्षद कहा जाता है।