कानपुर (ब्यूरो) उन्होंने विनोबा भावे के प्रेरक व्यक्तित्व का वर्णन करते हुए उनके जीवन दर्शन का समझाया। उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई अनुभव साझा कारते हुए बताया कि एक मनुष्य जीवनभर कुछ न कुछ सीखता रहता है और इसी से सीख लेकर उसे अपने जीवन में सुधार करते हुए जनकल्याण के कार्यों में भी अपना योगदान देते रहना चाहिए।
स्टूडेंट्स में सेवा भाव जरूरी
कुलपति प्रो। विनय कुमार पाठक ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को आचार्य विनोबा भावे और महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है। जिससे हम अपने बुनियादी संस्कारों से जुड़े रह सके। उन्होंने यूनिवर्सिटी की एनएसएस और एनसीसी के छात्रों को रमेश भाईजी के साथ जुड़कर समाज कल्याण के कार्यों में अपना योगदान देने की सलाह दी।
ये लोग रहे मौजूद
संचालन प्रो। संजय स्वर्णकार ने किया। इस मौके पर प्रति कुलपति प्रो। सुधीर कुमार अवस्थी, रजिस्ट्रार डॉ। अनिल कुमार यादव, सीडीसी निदेशक डॉ। आरके द्विवेदी, डॉ। आरएन कटियार, डॉ। प्रवीण कटियार, डॉ। शिल्पा कायस्थ, डॉ। शशिकांत त्रिपाठी, डॉ। अनुराधा कालानी, डॉ। निशा शर्मा, डॉ। अंकित त्रिवेदी, डॉ। पतंजलि मिश्रा, डॉ। अंजू दीक्षित, डॉ। प्रवीण भाई पटेल, डॉ। दिवाकर अवस्थी, डॉ। पंकज त्रिवेदी, डॉ। रश्मि गोरे, डॉ। योगेंद्र पांडेय आदि मौजूद रहे।