कानपुर (ब्यूरो) एसआईटी ने उपद्रव के मास्टरमाइंड माने जा रहे एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात जफर हाशमी समेत उसके मुख्य तीन साथियों को 52 घंटे रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी। पूछताछ व अन्य मिले इनपुट के बाद एसआईटी किसी बड़ी साजिश की आशंका की पड़ताल में जुट गई है। जांच में उन्नाव के शुक्लागंज और एक ग्रामीण क्षेत्र के अपराधी युवक का नाम सामने आया है। कन्नौज के भी एक उपद्रवी का नाम चर्चा में है। इसके अलावा फतेहपुर, लखनऊ, बनारस और प्रयागराज से भी उपद्रवी बुलाए गए थे। बनारस में रईस बनारसी का गिरोह एक समय काफी सक्रिय था। गिरोह से जुड़े गुर्गे हमेशा से डी-टू के मददगार रहे हैं। इन शहरों से यह लोग कानपुर आए और यहां से उन्होंने अपना डेरा प्रयागराज में डाला।
दस दिन पहले मिली थी जानकारी
सूत्रों के मुताबिक कमिश्नरेट पुलिस को ङ्क्षहसा से दस दिन पहले सर्विलांस से इनपुट मिल गया था कि बाहरी जिलों के अपराधियों की लोकेशन कानपुर में बढ़ी है। अफसर इसके पीछे किसी बड़ी हत्या की पटकथा मानकर जांच कर रहे थे, मगर अब सामने आया है कि असल खेल उपद्रव के दौरान खूनी ङ्क्षहसा का था। साजिशकर्ताओं की योजना चंद्रेश्वर हाता में ङ्क्षहसा का खूनी खेल खेलना था। रुमाल लहराकर भीड़ को चंद्रेश्वर हाता की ओर बुलाया गया, ताकि बवाल शुरू हो।
बच्चों ने बिगाड़ा खेल
योजना के मुताबिक सब ठीक-ठाक हो रहा था। आगे चल रहे उपद्रवियों को शुरुआत करके पीछे हट जाना था, ताकि भीड़ में छिपे डी-टू गैंग के गुर्गे ङ्क्षहसा कर सकें। मगर, इनका ये प्लान भीड़ में शामिल बच्चों ने खराब कर दिया। वह पीछे नहीं हटे और हंगामा करते रहे। ऐसे में शूटर सीधी गोलियां नहीं चला सके। हवाई फायर करके ही रह गए।
सामाजिक संगठन भी शामिल
एसआईटी की जांच में ङ्क्षहसा के लिए चालाक चौकड़ी को जिम्मेदार माना गया है। माना जा रहा है कि योजना बनाने में कई सफेदपोश शामिल हुए, जिसमें राजनैतिक और सामाजिक संगठनों के नेताओं के साथ धार्मिक गतिविधियों में जुड़े लोग मददगार बने। प्लाङ्क्षनग के बाद ङ्क्षहसा अपराधी तत्वों ने की और इस पूरे घटनाक्रम में जो भी पैसा खर्च हुआ, उसका इंतजाम बिल्डर हाजी वसी जैसे माफिया ने की।