कानपुर (ब्यूरो)। डिग्र्री कालेजों के एजूकेशनल अपग्र्रेडेशन के लिए सीएसजेएमयू ने तैयारी शुरू कर दी है। डिग्र्री कालेजों के टीचर्स को ही नहीं स्टूडेंट्स को भी नेशनल व इंटरनेशनल सेमिनार में शामिल होने के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें फाइनेंशियल हेल्प दी जाएगी। डिग्र्री कालेजों में एजूकेशनल वर्कशॉप के आयोजन पर भी विश्वविद्यालय की ओर से फाइनेंशियल हेल्प की जाएगी। इसके लिए शुरुआती तौर पर एक करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है।
केवल यूनिवर्सिर्टी के लिए
अब तक केवल सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के टीचर्स व स्टूडेंट्स को नेशनल व इंटरनेशनल सेमिनारों में शामिल होने पर फाइनेंशियल हेल्प दी दी जा रही है। यूनिवर्सिटी ने इस सुविधा को डिग्र्री कालेज के स्तर तक ले जाने का डिसीजन किया है। वाइस चांसलर प्रो। विनय कुमार पाठक के निर्देश पर यूनिवर्सिटी की 12 सदस्यीय कमेटी ने डिग्र्री कालेजों के टीचर एवं स्टूडेंट्स के लिए एजूकेशनल अपग्र्रेडेशन हेल्प नियमावली तैयार की है। इसके तहत डिग्र्री कालेजों में एजूकेशनल वर्कशॉप का आयोजन करने पर एक से डेढ़ लाख रुपये की फाइनेंशियल हेल्प दी जाएगी। डिग्र्री कालेज के टीचर अगर किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए सिटी से बाहर जाते हैं तो उन्हें भी 15 से 30 हजार रुपये की फाइनेशियल हेल्प दी जाएगी। इसका उद्देश्य
डिग्र्री कालेजों के स्तर पर शैक्षिक स्तर को ऊँचा उठाना है।
इसी तरह महाविद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्रा अगर किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षिक सम्मेलन या कार्यक्रम में शामिल होते हैं और अपना कोई शोध पत्र प्रस्तुत करते हैं तो उन्हें भी विश्वविद्यालय की ओर से 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। नियमावली तैयार करने वाली समिति में प्रति कुलपति प्रो। सुधीर अवस्थी, कुलसचिव अनिल कुमार यादव, वित्त अधिकारी एके त्रिपाठी, आरएचईओ डा। रिपुदमन ङ्क्षसह, कूटा अध्यक्ष प्रो। बीडी पांडेय, डीन प्रो। सुधांशु पाण्डिया व सीडीसी प्रो। राजेश कुमार द्विवेदी समेत अन्य शिक्षक व महाविद्यालयों के प्राचार्य शामिल हैं।
महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्रों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलनों में शामिल होने पर आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान पहली बार किया गया है। विश्वविद्यालय के पोर्टल पर महाविद्यालय के प्राचार्य, शिक्षक व शोध छात्र आवेदन कर सकेंगेण् -
प्रो। राजेश कुमार द्विवेदी, सीडीसी सीएसजेएमयू