- महिलाओं के साथ हैवानियत के कई मामलों में पीडि़त कार्रवाई के लिए काट रही हैं कानपुर से लखनऊ तक के चक्कर, मिलता है सिर्फ आश्वासन

-सीएम ऑफिस तक गूंज रही दरकार, विवेचना में लापरवाही का फायदा उठा रहे आरोपी, कहीं बयान का रोड़ा तो कहीं मेडिकल का सपोर्ट नहीं और

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KANPUR : महिला सशक्तीकरण, महिलाओं का सम्मान, बच्चियों की हिफाजत के लिए कानून और महिलाओं के साथ हुए अपराध के मामलों की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई। इस तरह के बयान और घोषणाएं आए दिन पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से सुनने को मिलती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर थानों में वीमेन सेल, पिंक चौकी, 1090 हेल्पलाइन, मिशन शक्ति और जाने कितनी योजनाएं चल रही हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि इस सब के बाद भी क्या महिलाओं को राहत मिली, उनका सम्मान बचा, उन्हें सुरक्षा मिली। उनके साथ हुए अपराधों में न्याय मिला? कम से कम धरातल पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। पीडि़त महिलाओं ने कानपुर से लखनऊ की दौड़ लगाई। मुख्यमंत्री तक अपनी पीड़ा पहुंचाई लेकिन न्याय के लिए आज भी उनका इंतजार खत्म नहीं हुआ है।

जांच के नाम पर फॉर्मेलिटी

बीते 11 महीनों में शहर में न जाने शहर कितने रेप और रेप की कोशिशों और छेड़छाड़ के मुकदमे दर्ज किए गए। लेकिन ज्यादातत मामलों में इंवेस्टिेगशन ऑफिसर की लापरवाही के चलते मामले लटके हुए हैं। मेडिकल रिपोर्ट में इंटर्नल ऑर्गन में इंजरी नहीं मिलने का फायदा आरोपियों को मिल रहा है। वहीं पुलिस की तरफ से आरोपियों पर अपराध सिद्ध करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। महज खानापूर्ति की जा रही है। हम शहर के पांच ऐसे मामले आपके सामने रखने जा रहे हैं जिनका हाल देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने को लेकर खाकी कितनी संवेदनशील है।

पहला मामला : सनसनी फैलाने वाली यह वारदात फजलगंज थाने की है। अप्रैल 2020 में फाइल किए गए इस केस में किशोरी को कुछ लोगों ने बहलाया फुसलाया और साथ ले गए। तीन दिन तक झांसी के एक होटल में रखकर गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया। किसी तरह से छूटी पीडि़त ने मामले की जानकारी परिवार और पुलिस को दी। रिपोर्ट दर्ज की गई। सात महीने बीत गए। थाना, सीओ, एसपी, एसएसपी और जिले से 80 किलोमीटर दूर प्रदेश की राजधानी तक शिकायत की गई। सात महीने बीतने के बाद अभी तक एक भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका।

विवेचक का बयान : रिपोर्ट दर्ज होने के बाद बयान कराए गए। बयान और रिपोर्ट की कॉपी मैच नहीं कर रही है। इस वजह से जांच फंसी है। जल्द ही मामले का निस्तारण किया जाएगा।

ूसरा मामला : दूसरा मामला साउथ सिटी के बाबू पुरवा थाने का है। पीडि़ता के मुताबिक मोहल्ले में रहने वाले एक युवक ने उसे प्रेम जाल में फंसाया और उन्नाव में दोस्त के कमरे में ले जाकर रेप की वारदात को अंजाम दिया। पीडि़ता के मुताबिक तथाकथित प्रेमी ने उसे नशीला पदार्थ पिला दिया था। ये मामला फरवरी 2020 का है लेकिन न तो इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई और न ही चार्जशीट। इस मामले में न्याय पाने के लिए पीडि़ता डीजीपी तक चक्कर लगा चुकी है।

विवेचक का बयान : मेडिकल में रेप की पुष्टि नहीं हुई थी, लिहाजा रीमेडिकल कराया गया। जिसमें ऑर्गन में कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं। लिहाजा आरोपों की पुष्टि नहीं होती। एक बार एफआर लग चुकी है।

तीसरा मामला : रेप का तीसरा सनसनीखेज मामला चकेरी के सनिगवां का है। यहां रहने वाली एक महिला ने मार्च 2020 में अपने ससुर और देवर के खिलाफ रेप की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस सनसनीखेज वारदात में थाने में बयान के बाद 164 के बयान भी दर्ज कर लिए गए। पीडि़त थाने से लेकर सीनियर ऑफिसर्स की चौखट तक न्याय की आस में दौड़ लगा चुकी है। इसके बाद भी उसे न्याय नहीं मिला। पीडि़त के मुताबिक पुलिस आरोपियों के साथ मिलकर कंप्रोमाइज का दबाव बना रही है।

विवेचक का बयान : पारिवारिक विवाद में केस दर्ज कराया गया था। मेडिकल में आरोपों की पुष्टि नहीं हुई थी। इस वजह से अरेस्टिंग नहीं की गई है। मामले की जानकारी सीनियर ऑफिससर्1 को है।

चौथा मामला : ये मामला साउथ सिटी के गोविंद नगर का है। बंगले में काम करने वाली एक नौकरानी ने अपने मालिक और उनके भाई पर रेप का आरोप लगाया था। ये मामला मई 2020 का है। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से लगातार पीडि़त अधिकारियों के दफ्तर में चक्कर लगा रही है। लेकिन उसके साथ न्याय नहीं हो पा रहा है। पीडि़त के मुताबिक पुलिस आरोपियों के साथ मिल गई है। इस वजह से उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है।

विवेचक का बयान : पगार लेन देन की वजह से मुकदमा दर्ज कराया गया था। रेप की पुष्टि नहीं हुई थी। इस वजह से मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है।

ांचवा मामला : सनसनी फैलाने वाला ये मामला कोहना के गंगा बैराज का है। जहां अपने दोस्त के साथ घूमने गई युवती से सरेशाम अश्लीलता की गई। विरोध करने पर युवती के दोस्त की पिटाई कर दी गई। आर्य नगर निवासी युवती ने मामले की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई। लेकिन रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। ये मामला दो महीने पहले का है। पीडि़त कार्रवाई के कई बार अधिकारियों के चक्कर भी लगा चुकी है लेकिन हर बार जाचं के नाम टरका दिया जाता है।

विवेचक का बयान : रिपोर्ट दर्ज करने के बाद सीसीटीवी कैमरे चेक किए गए। कैमरों की फुटेज में घटना की पुष्टि नहीं हुई है। इसके बाद भी आरोपियों की तलाश की जा रही है।

ये पांच मामले तो केवल आपके सामने दिखाने के लिए हैं। इसके अलावा न जाने कितने रेप, रेप का प्रयास, छेड़छाड़, अश्लीलता के हैं। जो रिपोर्ट दर्ज होने के बाद थाने की फाइलों में धूल फांक रहे हैं। न जाने कितनी रेप पीडि़ताएं जिले में इस आस और दर्द के साथ जिंदा हैं कि कभी न कभी तो उन्हें न्याय मिलेगा और आरोपियों को जेल भेजा जाएगा।

अपराध के आंकड़े

समय : 11 महीने

छेड़छाड़ : 109

रेप : 37

घरेलू मारपीट :32

रेप की कोशिश : 39

एसिड अटैक : 0

महिला संबंधी अपराधों को प्राथमिकता पर हल किया जा रहा है। अधिकतर मामलों में समय से चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट लगा दी जाती है।

डॉ। प्रीतिंदर सिंह, डीआईजी