कानपुर (ब्यूरो)। क्रिप्टो करेंसी की ऑनलाइन ट्रेङ्क्षडग कर जल्द ही डेढ़ से दो गुना करने के नाम पर ठगी के कई मामले सामने आ चुके हैं। ठगी के तार चीन से जुड़े हैं। साइबर अपराधी हांगकांग (चीन) में बैठे हैं और उन्होंने इंडिया में भी अपना नेटवर्क फैला रखा है हांगकांग के दो शातिरों की पहचान भी हुई है, जिसके आईपी एड्रेस का यूज ठगी के लिए किया जा रहा था। ये शातिर कुछ महीने पहले दिल्ली से ठगी को अंजाम दे रहे थे। पुलिस और इंटरपोल का शिकंजा कसने के बाद इन शातिरों ने कानपुर और लखनऊ का रुख किया है। शहर के एक बड़े मॉल में इनकी लोकेशन और फोटो भी ट्रेस हुई है। चाइना एंबेसी में दोनों की जानकारी भेजी गई है। कमिश्नरेट पुलिस, इंटरपोल और एलआईयू ने काम करना शुरू कर दिया है। दोनों को आरोपी बनाकर लुक आउट नोटिस जारी कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

बीटेक स्टूडेंट की मौत के बाद
पुलिस सूत्रों की माने तो दिल्ली से सटे गाजियाबाद की एपेक्स क्रेमलिन सोसायटी में तीन नवंबर 2022 को बीटेक स्टूडेंट हार्दिक वत्स ने 19वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या की थी। परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हार्दिक के मोबाइल से मिले डाटा की छानबीन करने पर इन दो शातिरों की जानकारी मिली है। हार्दिक एक टेलीग्राम एप पर जुड़ा था और करीब एक लाख रुपये टास्क के नाम पर ठगों के खाते में जमा करा दिए थे। उसे पौने दो लाख रुपये मिलने थे, लेकिन 25 हजार रुपये और जमा कराने के बाद भी पैसे नहीं लौटाए गए थे। हार्दिक ने जिन खातों में पैसा जमा कराया, उनकी छानबीन में कानपुर के दो व्यक्तियों के बारे में पता चला। दोनों फर्जी पतों पर बैंक खाते खुलवाकर गिरोह को मुहैया कराते हैं। छानबीन में राजस्थान की एक युवती का नाम भी सामने आया, जिसके मंगेतर को कानपुर के युवकों ने प्री-एक्टिवेटेड सिम भी मुहैया कराई थी।

गुरुग्राम की सिम हांगकांग में
छात्र के मोबाइल से बाइनांस एप मिला था। इसी के जरिये उससे ट्रेङ्क्षडग कराई जा रही थी। एप कंपनी के मुंबई ऑफिस के अधिकारियों को पुलिस ने केस में आरोपी बनाने की चेतावनी दी तो भारत के ही कुछ मोबाइल नंबर व खातों की जानकारी दी गई। इसमें जो प्री-एक्टिवेटेड सिम मिले है, उनका यूज कानपुर और लखनऊ में चीनी नागरिक ठगी के लिए कर रहे है। अधिकांश नंबर का वाट््सएप व टेलीग्राम एकाउंट चीन के आईपी एड्रेस पर चल रहा था। इंटरपोल की मदद लेकर पुलिस ने आईपी एड्रेस के आधार पर चीनी नागरिक की पहचान की। इन नंबरों में से कुछ गुरुग्राम के पते पर थे। पुलिस के मुताबिक गुरुग्राम की एक महिला चार्टेड एकाउंटेंट ने ही इन नंबरों को एक्टिव करा चीन भेजा था।

कैसे काम करता है गिरोह
ठगी करने वाले सीधे क्रिप्टो करेंसी में ट्रेङ्क्षडग के साथ ही ऑनलाइन टास्क के जरिये भी ठगी करते हैं। एप या पोर्टल पर खाता बनवाकर पहले छोटी रकम डेढ़ से दो हजार के निवेश पर रिटर्न देते हैं, जो वालेट से उनके खाते में ट्रांसफर हो जाती है। इसके बाद लाखों में रुपये निवेश कराए जाते हैं। पैसा वॉलेट में आ जाता है, लेकिन उसे लॉक कर लगातार पैसे मांगे जाते हैं। कानपुर साइबर सेल के पास ऐसे करीब 20 केस आ चुके हैं, जिनमें करोड़ों की ठगी की गई है।

इस तरह करते हैं ऑपरेट
दूसरे प्रदेशों से चोरी के मोबाइल गैग बल्क में खरीदता है। इन मोबाइल में प्री-एक्विेटेड सिम डाला जाता है। वाट्सएप डाउनलोड किया जाता है। उसके बाद सिम को तोड़कर फेंक दिया जाता है। इसके बाद गैग के लोग उन स्थानों पर जाते है, जहां वाई-फाई फ्री में उपलब्ध होता है। यहां वाई-फाई कनेक्ट कर आपस में बात करते है और मैसेजिंग करते है। जब तक पुलिस इन स्थानों को ट्रेस कर पहुंचती है, ये फरार हो जाते है। साइबर सेल के एडीसीपी मनीष सोनकर का कहना है कि इनकी लोकेशन स्टेबल नहीं रहती है। कानपुर और लखनऊ के बीच ये काम करते रहते है। 24 घंटे में 6 घंटे के लिए फोन खोले जाते है। जिससे लोकेशन नहीं मिल पाती है।

बड़े चौराहे के मॉल मे लोकेशन
साइबर सेल के मुताबिक, एक सप्ताह पहले बड़ा चौराहा स्थित एक मॉल की लोकेशन मिली थी। जब फुटेज खंगाले गए तो दो तस्वीरें सामने आईं। इन तस्वीरों के आधार पर जांच की गई तो दोनों चीनी नागरिक दिखाई दिए। चाइना एंबेसी में दोनों की जानकारी भेजी गई है, जल्द ही रिपोर्ट सामने आएगी। ये पूरे देश में घूम-घूम कर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे है। मामला दूसरे देश से जुड़ा है, इसलिए एजेंसियां और जांच टीम हर कदम को फूंक फूंक कर रख रही है।
केंद्र सरकार से सूचना यूपी सरकार के पास आई थी, जिसके बाद कानपुर और लखनऊ कमिश्नरेट को एक्टिव किया गया है। कुछ मजबूत इविडेंस मिले है, जल्द ही केस वर्कआउट होगा।
हरमीत सिंह, प्रभारी साइबर सेल

गैंग ऐसे बनाता है शिकार
-क्रिप्टो करेंसी में ट्रेङ्क्षडग के साथ ऑनलाइन टास्क के जरिये करते हैं ठगी
-एप पर खाता बनवाकर पहले छोटी रकम के निवेश पर देते हैं अच्छा रिटर्न
- रिटर्न मिलने पर निवेशक धीरे धीरे निवेश की रकम को बढ़ाता जाता है
- रिर्टन की रकम वॉलेट के जरिए निवेश के खाते में ट्रांसफर हो जाती है
- इसके बाद लाखों रुपये निवेश कराकर मोटा रिर्टन वॉलेट में आ जाता है
-वॉलेट पर लॉक लगाकर खाते में रकम ट्रांसफर के लिए मांगे जाते हैं पैसे
- बार बार पैसे देने पर भी वॉलेट की करम खाते में ट्रांसफर नहीं होती है
- कानपुर साइबर सेल के पास करीब 20 केस आ चुके हैं, करोड़ों की ठगी