कानपुर (ब्यूरो)। साइकिल एक इको फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट मीडियम है। साइकिलिंग से न सिर्फ हमारी बॉडी फिट रहती है बल्कि एनवायरमेंट में पॉल्यूशन को भी कम करता है। सिटी में आईआईटी और एचबीटीयू जैसे संस्थानों में स्टूडेंट्स से लेकर फैकल्टी मेंबर्स तक साइकिल चलाते हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर सिटी के स्कूलों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स साइकिल को पिछड़े जमाने का साधन सोचकर इग्नोर करते है। मोटरसाइकिल, स्कूटी और कार से भी बड़ी संख्या में स्कूलों में आते है। नाबालिगों के हाथ में कार या मोटरसाइकिल की सवारी कइयों को मौत की नींद तक सुला चुकी है। ऐसे में सवाल है कि जब आईआईटीयंस को साइकिल चलाने में कोई शर्म या परहेज नहीं तो बच्चों को क्यों?
फैकल्टी से स्टूडेंट तक
देश के टॉप कॉलेजों की लिस्ट में शुमार आईआईटी कानपुर में साइकिल कल्चर बरसों पुराना है। यहां पर फैकल्टी और स्टूडेंट कैंपस में एक स्थान से दूसरे स्थान तक आने के लिए साइकिल का यूज करते है। कैंपस में एंट्री करते ही आपको साइकिल पर पैडल मारकर डिपार्टमेंट की ओर से जाते लोग नजर आने लगेंगे। आईआईटी के डिप्टी डायरेक्टर प्रो। बृजभूषण कहते है कि आईआईटी कानपुर में साइकिल चलाने का इतिहास काफी पुराना है। प्रोफेसर और स्टूडेंट्स का एक बड़ा हिस्सा साइकिल चलाकर ग्रीन कैंपस का आनंद लेते है। साइकिल एनवायरमेंट फ्रेंडली होने के साथ साथ हेल्दी लाइफ स्टाइल के लिए भी अच्छी है।
एचबीटीयू में स्टूडेंट्स को एलॉट की जाती है साइकिल
अपना 103 साल का सफर पूरा कर चुकी हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) में भी साइकिल कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। यहां के ईस्ट और वेस्ट कैंपस में साइकिल स्टैड है जहां पर 50-50 साइकिलें है। सेशन शुरू होने पर स्टूडेंट्स को साइकिल एलॉट कर दी जाती है। इस साइकिल से वह ईस्ट से वेस्ट कैंपस की लगभग दो किमी की दूरी को तय करते है। इतना ही नहीं स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने के लिए वीसी प्रो। समशेर भी साइकिल रैली में स्वयं साइकिल चलाते है। प्रभारी ऑफिसर वाहन कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे पास 100 साइकिलें है। इच्छुक स्टूडेंट्स को एडमिशन के समय फॉर्म भराकर हैडओवर कर दी जाती हैं। वह पढ़ाई के अलावा अपने दैनिक कार्यों में भी साइकिल का यूज करते हैं।
साइकिल से बेनीफिट
उप्र साइकिलिंग एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आरके गुप्ता ने बताया कि साइकिल अन्य ट्रांसपोर्ट के साधनों के अलावा सस्ता साधन है। इसमें फ्यल का खर्च तो जीरे होता है। वहीं, मेंटीनेंस का खर्च भी न के बराबर होता है। यह इकोफ्रेंडली भी है। इसके चलने से किसी भी तरह का कार्बन एमीशन नहीं होता। इसके अलावा इसको चलाने से फिजिकल फिटनेस बनी रहती है। ऐसे में सभी को चाहिए कि कम दूरी वाले स्थानों में आने जाने के लिए साइकिल का यूज करना चाहिए। यह इकोफ्रेंडली के साथ साथ बजट फ्रेंडली भी है।
स्कूलों में सिर्फ साइकिल ही एलाउ हो
कानपुर स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री कृष्ण कुमार दुबे ने बताया कि साइकिल एक बहुत ही अच्छा साधन है। स्टूडेंट्स को इसका ज्यादा से ज्यादा यूज करना चाहिए। स्टूडेंट्स के लिए यह बजट फ्रेंडली है। इसको चलाने से पूरी बॉडी की एक्सरसाइज भी होती है। स्कूलों को ऐसा नियम बना देना चाहिए कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को मोटरसाइकिल या कार से एंट्री बंद कर दें।