- सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच पूरी कर डीएम को सौंपी रिपोर्ट

- 2017 में एटीएस ने पकड़ा था टीएल में फर्जीवाड़ा

KANPUR: फर्जी शस्त्र लाइसेंस पर ट्रांजिट लाइसेंस (टीएल) बनाने के मामले की जांच में कलेक्ट्रेट के असलहा अनुभाग में तैनात तत्कालीन मुख्य राजस्व लेखाकार को दोषी पाया गया है। सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच पूरी कर रिर्पोट दे दी है। मामले में दोषी कर्मी को बर्खास्त तक किया जा सकता है। बता दें कि 2014-2016 के बीच असलहा दुकानदारों ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस के आधार पर ट्रांजिट लाइसेंस जारी करवाया और दूसरे राज्यों में असलहों की बिक्री की थी।

4 आ‌र्म्स डीलर्स की भी भूमिका

असलहों को बिक्री के लिए एक शहर से दूसरे राज्य तक जाने के लिए ट्रांजिट लाइसेंस अनिवार्य होता है। इसकी जिम्मेदारी शस्त्र अनुभाग में तैनात लिपिकों की थी। वे ही ट्रैवलिंग लाइसेंस बनाकर एडीएम सिटी या सिटी मजिस्ट्रेट से अप्रूव्ड कराते थे। आरोप है कि दुकानदारों से मिलकर उन्होंने यह फर्जीवाड़ा किया। कर्मियों द्वारा बिना सत्यापन किए ही टीएल जारी कर दिया गया। ये असलहे बिहार व अन्य राज्यों में ले जाए गए थे। टीएस की जांच में 25 जुलाई 2017 को 4 आ‌र्म्स डीलर्स की भूमिका पाई गई। सभी को अरेस्ट कर जेल भेजा गया था। मामले में तत्कालीन मुख्य राजस्व लेखाकार महेश सिंह को भी जेल भेजा गया था। तत्कालीन डीएम ने मामले की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपी थी।

ये आ‌र्म्स डीलर हुए थे गिरफ्तार

- अमरजीत नियोगी, एके नियोगी एंड कंपनी

- जैनुल आबदीन, पूवरंचल गन हाउस

- विजय खन्ना, खन्ना आर्मरी

- राजीव शुक्ल, जय जवान आ‌र्म्स डीलर