सरकारी सूत्रों के अनुसार कागज का गिरिजाघर पुराने गिरिजाघर की जगह लेगा। कागज से बनने वाले 25 मीटर ऊंचे इस गिरिजाघर को क्षतिग्रस्त गिरिजाघर के बगल में ही बनाया जाएगा। अनुमान है कि यह गिरिजाघर 2012 के दिसबंर में बनकर तैयार हो जाएगा।
भूकंप से हुआ था नुकसान
कागज के इस गिरिजाघर के तैयार हो जाने के बाद मूल गिरिजाघर को तोड़ दिया जाएगा। पिछले साल 22 फरवरी को आए भूकंप में इस गिरिजाघर के साथ-साथ ढे़र सारी इमारतों को क्षति पहुंची थी और इसमें कम से कम 185 लोग मारे गए थे.चर्च के पदाधिकारी का कहना है कि यह गिरिजाघर कागज से बनेगें, जिसे पुराने गिरिजाघर से 300 मीटर की दूरी पर बनाया जाएगा। इस गिरिजाघर का डिजाइन जापान के वास्तुकार शिगेरु बैन ने किया है, जिसमें 700 लोगों के बैठने की क्षमता होगी।
कागज से बनने वाले इस गिरिजाघर में सिर्फ़ उस स्थान पर लकड़ी, लोहा और कंक्रीट का इस्तेमाल होगा और जहां धार्मिक अनुष्ठान किए जाएगें। इस गिरिजाघर को तब तक उपयोग में लाया जाएगा जब तक कि स्थायी रूप से गिरिजाघर का निर्माण नहीं कर लिया जाता है.
मरम्मत संभव नहीं
कागज से बननेवाला यह अस्थाई गिरिजाघर आग और सभी तरह के मौसम की मार झेलने में सक्षम होगा जो कम से कम 20 साल तक सुरक्षित रह सकता है।
19वीं शताब्दी में बने उन हजारों इमारतों को भूकंप से काफ़ी नुक़सान पहुँचा था जिनकी क्षमता 6.3 तीव्रता का भूकंप सहने की थी। इनमें से चर्च भी एक है
चर्च के पदाधिकारियों ने मार्च में कहा था, “गिरिजाघर को भूकंप से जितनी भयानक क्षति पहुंची है, उसका मरम्मत नहीं किया जा सकता है। इसका एक मात्र समाधान यही है कि उसे पूरी इज्जत देते हुए सावधानी से तोड़ दिया जाए.”
हालांकि संरक्षण समर्थकों ने चर्च से अपील की है कि वे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे और कुछ अन्य उपायों के बारे में सोचें जिससे कि इस ढ़ांचे को बचाया जा सके।
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