कानपुर (ब्यूरो)। एडिशनल एजुकेशन डायरेक्टर (एडी) माध्यमिक की फेक ईमेल से सिलेक्टेड फर्जी टीचर्स की भर्ती के मामले में कई मामले पर चूक हुई। बाबू से लेकर डीआईओएस तक लापवाही की गई लेकिन मामला खुला तो अब अपनों को बचाने का खेल शुरू हो गया है। संडे को डीआईओएस अरुण कुमार की ओर से थाना कर्नलगंज में एफआईआर के लिए दी गई तहरीर में फेक ईमेल से आए पैनल में सिलेक्टेड टीचर्स के नाम हैैं। जबकि मेल को रिसीव करने और प्रिंट आउट निकालने वाले पटल सहायक और दो महिला टीचर को ज्वाइनिंग कराने वाले डीआईओएस सेकेंड का नाम आरोपियों की लिस्ट में नहीं है। हालांकि उन पर डिपार्टमेंट जांच कराए जाने की बात कही जा रही है। जबकि एडी बेसिक की रियल और फेक ईमेल आईडी में क्लियर डिफरेंस है। अगर अधिकारी सजग होते तो प्रथम दृष्टया ही पकड़ा जा सकता था।
ईमेल और नेक्सस तोडऩे का भी प्रयास नहीं
डीआईओएस की ओर से दी गई तहरीर में कई खामियां हैैं। सबसे पहले तो फेक ईमेल को कहां से भेजा गया और कैसे जेनरेट किया गया, इसको लेकर तहरीर मे कोई जिक्र नहीं किया गया है। इसके अलावा मेल भेजने वाले को भी आरोपियों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। केवल फेक ईमेल से आए नौ फेक सिलेक्टेड टीचर्स को आरोपी बनाया गया है। संभावना जताई जा रही है कि इस पूरे खेल में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी कमाई की गई हो और इसके पीछे कोई बड़ा नेक्सस काम कर रहा हो। लेकिन पुलिस को दी गई तहरीर में यह सब बातें मिसिंग हैैं।
सत्यापन बाद में नौकरी पहले
नियम के अनुसार किसी भी पैनल के आने पर बोर्ड की वेबसाइट या आफिस से पैनल का सत्यापन कराया जाता है। जबकि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। तत्कालीन डीआईओएस सेकेंड की ओर से गल्र्स स्कूलों में पोस्टिंग के लिए प्रिंसिपल और मैनेजर को संसूचना प्रेषित की गई, जिसमें आर्य कन्या इंटर कॉलेज गोविंद नगर में 02 मार्च को रिक्षा पांडेय और 12 दिसंबर को मदन मोहन अग्रवाल इंटर कॉलेज किदवई नगर में विनीता देवी ने ज्वाइन भी कर लिया। इन दोनों में विनीता ने दो लाख से ज्यादा सैलरी भी उठा ली है। अगर सजग रहकर सत्यापन पहले करा लिया गया होता तो ऐसा फर्जीवाड़ा नहीं हो पाता।
रिकवरी के लिए लेटर जारी
डीआईओएस ने मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज में 12 दिसंबर को ज्वाइनिंग के बाद दो लाख से ज्यादा सैलरी उठाने वाली विनीता देवी से रिकवरी के लिए प्रिंसिपल और मैनेजर को लेटर भेजा है। इसके अलावा ज्वाइनिंग करने वाली दोनों टीचर्स के नियुक्ति पत्रों को कैंसिल किए जाने की बात भी कही जा रही है।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
एडी माध्यमिक की ईमेल आईडी है। फ्राड करने वालों ने उसी जैसी एक नाम से एक फेक ईमेल आईडी को बनाया और 18 अक्टूबर को डीआईओएस कानपुर को एक मेल भेजी, जिसमेें कानपुर नगर के अशासकीय सहायता प्राप्त बालक और बालिका विद्यालयों में टीचर्स के चयनोपरांत नियुक्ति के लिए विज्ञापन संख्या 01/2021 (प्रशिक्षित स्नातक) और 2/2021 प्रवक्ता का पैनल भेजा गया। पैनल में नाम, पद, रोल नंबर, सब्जेक्ट, कैटेगरी और आवंटित स्कूल का नाम लिखा है। पैनल आने के बाद डीआईओएस ऑफिस के पटल सहायकों और अफसरों ने लापरवाही से बिना पड़ताल किए पोस्टिंग दिलाने का प्रोसेस शुरू कर दिया, जिसमें दो ने नौकरी ज्वाइन भी कर ली थी। फिलहाल दोनों छुट्टïी पर हैैं्।
रिटायर्ड डीआईओएस का नाम चर्चा में
पूरे मामले को लेकर जेडी की ओर से शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है। मंडे को डीआईओएस आफिस में एक रिटायर्ड डीआईओएस के नाम पर चर्चा रही कि यह पूरा मामला उनकी ओर से ही रचा गया है, जिसमें उन्होंने नौकरी दिलाने के लिए उनको जमकर आर्थिक लाभ पहुंचाया गया है। बताया जा रहा है कि डिपार्टमेंटल जांच में उनको भी जांच के घेरे में रखा गया है। मामला उठने के बाद एक पूर्व डीआईओएस भी जमकर रुचि ले रहे हैैं। लोगों को बता रहे हैैं कि कहां क्या खामियां हैैं और किसने कैसे कमाई की है। हालांकि वह साहब भी अपने समय में ताबड़तोड़ बैटिंग के लिए फेमस थे।