कानपुर (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी के तहत ऑटोमाइजेशन से ड्रिकिंग वाटर सप्लाई कैपेसिटी बढ़कर एक हजार एमएलडी से अधिक हो चुकी है। बावजूद इसके जलनिगम व जलकल डिपार्टमेंट मिलकर भी कानपुराइट्स की प्यास बुझा नहीं पा रहा है। डिमांड के मुताबिक वाटर सप्लाई नहीं कर पा रहा है। कानपुराइट्स को ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस से जूझना पड़ रहा है। उन्हें अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी खरीदना पड़ रहा और ग्र्राउंड वाटर का भी यूज करना पड़ रहा है। इसकी बड़ी वजह गड़बड़ फीडरमेन लाइन है, जो प्रेशर सह नहीं पाती है और फट जाती हैं। अभी कई एरिया के वाटर लाइन चालू नहीं हो सकी और जोनल पम्पिंग स्टेशन चालू नहीं हो सके हैं।

6 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
जवाहर लाल अरबन रिन्यूवल मिशन के अंर्तगत जलनिगम ने गंगा बैराज में दो नए वाटर ट्रीटमेंट बनाए थे। इनकी कैपेसिटी 200-200 एमएलडी है। इसी तरह गुजैनी में भी 28.5 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया था। इसके अलावा बेनाझावर स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की कैपेसिटी बढ़ाकर 200 से बढ़ाकर 280 एमएलडी की थी। जबकि पहले से ही गंगा बैराज में 200 एमएलडी और गुजैनी में 28.5 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट था.इसके अलावा जलकल ने सिटी में 160 नलकूप हैं, जिनसे 120 एमएलडी वाटर सप्लाई का दावा करता है। इस तरह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स और नलकूपों को मिलाकर टोटल ड्रिकिंग वाटर कैपेसिटी 1057 एमएलडी है।

प्लांट्स का आटोमाइजेशन
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत वाटर सप्लाई सुगम व कैपेसिटी बढ़ाने के लिए नलकूपों व गंगा बैराज के दो,बेनाझाबर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को भी आटोमाईजेशन का काम किया गया है। जलकल ऑफिसर्स का दावा है कि इससे वाटर सप्लाई कैपेसिटी बढ़कर 553 एमएलडी हो गई है। सभी नलकूप व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स आटोमाईजेशन का काम पूरा होने पर वाटर सप्लाई और भी ज्यादा हो सकेगी।

40 लाख से ज्यादा आबादी
सिटी की पापुलेशन 40 लाख के करीब पहुंच चुकी है। नाम्र्स के मुताबिक इस पापुलेशन को लगभग 700 मिलियन लीटर पर डे ड्रिकिंग वाटर की जरूरत है। वहीं जलकल ऑफिसर्स के दावों की मानें तो ऑटोमाइजेशन व अन्य प्रयासों के बावजूद फिलहाल 553 एमएलडी ड्रिकिंग वाटर सप्लाई किया जा रहा है। इसी वजह से कानपुराइट्स को गर्मियों में ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा है। जाजमऊ, चकेरी, श्याम नगर, गांधीग्र्राम स्वर्ण जयन्ती विहार, गोपाल नगर, दामोदर, बर्रा, चंदारी, यशोदा नगर, नौबस्ता, पनकी आदि एरिया में वाटर सप्लाई ही नहीं हो रही है। सिटी में भी जरूरत के मुताबिक लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। लोगों को पानी के लिए सबमर्सिबल पम्प लगवाने पड़ रहे हैं।

फीडरमेन लाइन हैं गड़बड़
कैपेसिटी के मुताबिक वाटर सप्लाई न हो पाने की कई वजह हैं। एक तो गंगा बैराज से कम्पनीबाग होते हुए बाबूपुरवा व फूलबाग तक बिछाई गई फीडरमेन लाइन गड़बड़ है, जो कि प्रेशर से वाटर सप्लाई करते ही फट जाती है। वाटर सप्लाई प्रभावित होने की वजह से ही जलकल डिपार्टमेंट ने जलनिगम के बनाए गए 82 जोनल पम्पिंग स्टेशन में से केवल 47 ही हैंडओवर लिए हैं। इसी तरह 45 ओवरहेड टैंक में से 19 हैंडओवर हैं।


120 नलकूप समेत दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के आटोमाईजेशन का काम पूरा हो चुका है। बाकी नलकूप आटोमाईजेशन का भी हो जाएगा। अभी शहर में 553 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है।
-केपी आनंद, जीएम जलकल
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फीडरमेन लाइन गड़बड़ होने के कारण पूरी कैपेसिटी से वाटर सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसकी जानकारी शासन को दी जा चुकी है।

-- अजमल हुसैन , प्रोजेक्ट इंजीनियर, गंगा बैराज यूनिट जलनिगम

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वाटर ट्रीट प्लांट्स की कैपेसिटी
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट-- कैपेसिटी
गंगा बैराज में 3 प्लांट-- 600 एमएलडी
बेनाझाबर-- 280 एमएलडी
गुजैनी में 2 प्लांट-- 57 एमएलडी
प्लाट्स की टोटल कैपेसिटी-937 एमएलडी
160 ट्यूबवेल-- 120 एमएलडी
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