कानपुर(ब्यूरो)। कारपोरेटर का इलेक्शन जीत कर राजनैतिक सफर की सीढिय़ां चढऩे वाले कई सभासद राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर पहुंचे। तो कई अभी भी इंतजार में है। हालांकि इनमें से कई नगर निगम इलेक्शन में कई कारपोरेटर हैट्रिक लगा चुके हैं। यही नहीं कुछ पार्षद चौका भी जड़ चुके हैं। यही नहीं कुछ पार्षद सिक्सर मारने की भी तैयारी कर रहे हैं।
रिजर्वेशन से बिगड़ गया समीकरण
लोकल बाडी इलेक्शन को लेकर बिगुल बज चुका है। कानपुर में 11 मई को मतदान होगा। 13 मई को वोटों की काउंटिंग होगी। इलेक्शन को लेकर तैयारियां तेज हो गई। हालांकि वार्डो का रिजर्वेशन चेंज होने से कई कारपोरेटर्स का समीकरण बिगड़ गया है। महिला सीट होने पर उन्होंने मां, पत्नी या अन्य फैमिली मेंबर्स को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है। हालांकि कई को इसमें भी निराशा हाथ लगी। सीट अन्य कैटेगिरि के लिए रिजर्व होने की वजह से उन्होंने अगल-बगल के वार्डो पर निगाहें जमा ली। अपनी पार्टी से इन्हीं वार्डो से टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं।
मिला पत्नी का साथ
सिटी के पाश एरिया में गिने जाने वाले तिलक नगर वार्ड के पार्षद कमल बेबी शुक्ल अब तक 5 बार इलेक्शन जीत चुके हैं। पहली बार वर्ष 1989 में पहली बार पार्षद चुने गए थे। इस बार भी वार्डो के रिजर्वेशन में उनके वार्ड में कोई उलटफेर नहीं हुआ। इसी तरह गांधी नगर वार्ड निवर्तमान पार्षद महेन्द्र शुक्ला तीन बार इलेक्शन जीत चुके हैं। इससे पहले वर्ष 1989 से लगातार दो बार उनकी पत्नी पार्षद चुनी जा चुकी है।
वार्ड बदलने के बाद भी जीते
वहीं दो पार्षद ऐसे भी है जो चार बार खुद पार्षद बने। दोनों ने वार्ड बदल कर भी चुनाव लड़ा फिर भी मैदान मार लिया। इनमें विष्णुपुरी वार्ड से निवर्तमान पार्षद महेन्द्र पाण्डेय पप्पू शामिल है। वर्ष 2012 में वार्ड रिजर्वेशन की स्थिति बदलने पर बगल वाले वार्ड नवाबगंज से इलेक्शन लड़े और जीते। इसी कड़ी में एक और नाम निवर्तमान पार्षद नवीन पंडित का है। जिन्होंने पहले गोविन्द नगर और फिर 2 बार बर्रा वार्ड और फिर गोविन्द नगर वार्ड से चुनाव जीता।
हैट्रिक की लिस्ट में कई पार्षद
इनके अलावा भी कई ऐसे पार्षद है, जो तीन बार खुद चुनाव जीत चुके या उनकी फैमिली का कब्जा रहा। इनमें मदन भाटिया, दिनेश बाजपेई, देवेन्द्र सब्बरवाल, कैलाश पाल, योगेश वर्मा व उनकी, प्रमोद जायसवाल व उनकी पत्नी नाम आदि शामिल हैं।