ये लोग अमरीका में निर्मित एक फ़िल्म का विरोध कर रहे थे जिसमें पैगंबर मोहम्मद को अपमानित किए जाने की बात कही जा रही है।
बेनग़ाज़ी में स्थानीय लोगों का कहना है कि भवन में आग लग गई है, हालांकि इस ख़बर की पुष्टि नहीं हो पाई है।
ख़बर है कि बंदूक़धारियों और लीबिया के सुरक्षाकर्मियों के बीच लड़ाई जारी है। अभी तक इन झड़पों में किसी को नुक़सान पहुंचने की बात सामने नहीं आई है।
क़ाहिरा में दूतावास के सामने हज़ारों प्रदर्शनकारी जमा थे।
कहा जा रहा है कि इस फ़िल्म के निर्माताओं में वो पादरी भी शामिल हैं जिन्होंने क़ुरान की प्रतियां जलाईं थीं।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि फिल्म अब अमरीका में प्रदर्शित की जाने वाली है।
क़ाहिरा में मौजूद बीबीसी संवाददाता जॉन लेन का कहना है कि मंगलवार की रात को भी कुछ प्रदर्शनकारी दूतावास की बाहरी दीवार पर बैठे नज़र आए। लेकिन परिसर के पास दंगा पुलिस मौजूद थी जिसकी वजह से किसी तरह के झड़प का कोई ख़तरा नहीं था।
क़ाहिरा के अमरीकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने प्रदर्शन के दौरान गोली चलने की बात से साफ़ इंकार किया है।
'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता'
पूर्व में अमरीकी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा था कि वो कुछ व्यक्तियों द्वारा मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश की निंदा करते हैं। बयान में किसी धर्म के लोगों की भावना को ठेस पहुंचाने की बात की निंदा की गई थी।
बयान में कहा गया था: "हम उन सभी कदमों को सिरे से नकारते हैं जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर दूसरों की धार्मिक विश्वास को ठेस पहुंचाई जाती है."
अमरीकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो दूतावास के साथ मिलकर वहां शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसी ख़बर है कि फ़िल्म को अमरीका के पादरी टेरी जोंस और मिस्त्र के कुछ प्रवासी लोगों ने मिलकर प्रोड्यूस किया है।
मिस्र में प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो इस बात की निंदा करते हैं कि कुछ लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद को अपमानित कर रहे हैं।
"हम उन सभी कदमों को सिरे से नकारते हैं जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर दूसरों की धार्मिक विश्वास को ठेस पहुंचाई जाती है."
-अमरीकी दूतावास
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