बीबीसी को जानकारी मिली है कि ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने गद्दाफ़ी के ख़िलाफ़ गोपनीय आर्थिक कार्रवाई के लिए एक विशेष इकाई की स्थापना की थी।
इस कथित 'लीबिया ऑइल सेल' का काम त्रिपोली में ईंधन की आपूर्ति को रोकना था और साथ ही ये सुनिश्चित करना कि विद्रोहियों को पेट्रोल और डीज़ल की आपूर्ति बिना किसी बाधा के होती रहे।
ब्रिटेन के सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस 'लीबिया ऑइल सेल' में कुछ चुनिंदा नौकरशाहों, मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों को रखा गया है। उनका कहना है कि लीबिया में युद्ध के दौरान इस इकाई ने कर्नल गद्दाफ़ी की सेना को ईंधन के संकट से जूझने पर बाध्य कर दिया और वहीं ये सुनिश्चित किया कि विद्रोहियों को ईंधन की आपूर्ति बिना किसी बाधा के होती रहे जिससे कि वे गद्दाफ़ी के ख़िलाफ़ अपना संघर्ष जारी रख सकें।
पूर्व तेल व्यवसायी का दिमाग
बताया जाता है कि ये इकाई अंतरराष्ट्रीय विकास मामलों के मंत्री एलन डंकन के दिमाग की उपज है। पहले तेल के व्यवसाय से जुड़े रहे एलन डंकन ने अप्रैल में प्रधानमंत्री कैमरन को इस बात के लिए सहमत किया था कि लीबिया की समस्या का एक हल तेल में भी छिपा हुआ है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को भी इस बात के लिए राज़ी किया कि गद्दाफ़ी विद्रोहियों से तब तक नहीं हार सकते जब तक उनको तेल की आपूर्ति बंद न कर दी जाए और विद्रोहियों को तेल आसानी से मिलता रहे।
इसके बाद विदेश मंत्रालय में इस गोपनीय इकाई के दो ऑपरेशन रूम स्थापित किए गए। यहाँ से इस बात पर नज़र रखी गई कि तेल कहाँ से कहाँ जा रहा है और इसकी सूचना सरकार और नैटो सेनाओं को दी गई।
इस इकाई का नेतृत्व पहले एक वरिष्ठ एडमिरल ने किया और बाद में सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने। ये दोनों ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठकों में शामिल होते रहे।
इसी इकाई ने नैटो सेनाओं को सलाह दी थी कि ज़ाविया के बंदरगाह की घेरेबंदी कर ली जाए जिससे उन तस्करों को रोका जा सके जो गद्दाफ़ी के लिए तेल की आपूर्ति कर रहे थे।
इस इकाई ने उन तेल टैंकरों की पहचान की जिसे नैटो रोक सके। इसने ट्यूनिशिया और अल्जीरिया से आने वाले तेल के रास्तों की भी पहचान की।
इस गोपनीय इकाई ने ही विद्रोहियों को ख़ुफ़िया जानकारियाँ उपलब्ध करवाईं जिससे कि वे नफ़ूसा की पहाड़ियों से गद्दाफ़ी के ज़ाविया रिफ़ायनरी को कच्चे तेल की आपूर्ति को रोक सकें।
लीबिया के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने का कार्य भी इसी इकाई के सुझाव पर हुआ था जिससे कि विद्रोहियों को तेल की आपूर्ति अबाध रुप से होती रह सके।
विद्रोहियों को तेल
इस इकाई ने लंदन के तेल व्यावसायियों के लिए इस ख़तरे को कम करने में सहायता की कि उनका भुगतान न रुके और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे बेनग़ाज़ी में विद्रोहियों को तेल की आपूर्ति करें। उन्हें ये भी सूचना इस इकाई ने मुहैया करवाई कि विद्रोहियों में किन नेताओं से संपर्क किया जाए।
सरकार के सूत्रों का कहना है, "यदि आपके पास तेल नहीं होगा तो आप युद्ध नहीं जीत सकते इसलिए हमारा लक्ष्य ये था कि सरकार के पास तेल का संकट हो और विद्रोहियों को तेल मिलता रहे."
सूत्रों का कहना है, "गद्दाफ़ी के पास कच्चा तेल तो था लेकिन उसके शोधन की सुविधा नहीं थी। ऐसे में उनके पास एक ही विकल्प था कि वे बाहर से तेल का आयात करें लेकिन हमने वो रास्ता भी रोक दिया."
बुधवार की रात को पता चला कि डंकन ने एक समय तेल कंपनी विटॉल के साथ काम किया था जिसने विद्रोहियों को तेल की आपूर्ति की।
सरकार के सूत्रों का कहना है कि ये हितों के टकराव का मामला नहीं क्योंकि लीबिया की तेल इकाइयों का इस कंपनी के साथ कोई व्यावसायिक रिश्ता नहीं है।
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