कानपुर (ब्यूरो): ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी की आधारशिला रखते समय गंगा पर एक एक्स्ट्रा गंगा ब्रिज बनाकर कानपुर से सीधे कनेक्टिविटी का सपना भी दिखाया गया था। शायद यही वजह है कि ट्रांसगंगा सिटी में सबसे ज्यादा प्लॉट्स के लिए अप्लाई करने वालों में कानपुराइट्स ही थे, लेकिन आधारशिला रखे दस वर्ष होने को हैं, अब तक एक्स्ट्रा ब्रिज का नामोनिशान तक नहीं नजर आ रहा है। यहां तक पुल कहां से बनेगा, इसकी जगह तक नहीं फिक्स हो पाई है। दस वर्ष से सिर्फ कागजों पर ही ब्रिज बनाया और बिगाड़ा जा रहा है। यूपीसीडा की ओर से ब्रिज बनाने के लिए सर्वे के नाम पर स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन को करीब 60 लाख रूपए दिए जा चुके हैं।
ट्रांसगंगा के ब्रोशर्स में भी ब्रिज
वर्ष 2014 में यूपीसीडा(पहले यूपीएसआईडीसी) ने ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी की शानदार ढंग से लांचिंग की थी। आधारशिला कार्यक्रम में तत्कालीन चीफ मिनिस्टर सहित कई कैबिनेट मिनिस्टर और चीफ सेक्रेटरी सहित सीनियर ऑफिसर शामिल हुए थे। कानपुर के इंडस्ट्रियलिस्ट, बिजनेसमैन और अन्य प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में ट्रांसगंगा सिटी की कानपुर से सीधी कनेक्टिविटी किए के लिए गंगा पर बनाए जाने का वादा भी किया गया था। 15 अगस्त 2015 और 7 अक्टूबर,2016 को रेजीडेंशियल प्लाट्स लांच करते समय भी ब्रोशर्स में ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी की विशेषताओं में स्पष्ट तौर पर गंगा पर एक एक्स्ट्रा ब्रिज लिखा गया था।
प्लॉट्स की कॉस्टिंग में ब्रिज की कास्ट
ट्रांस गंगा सिटी के लिए सरसैयाघाट वीआईपी रोड से गंगा पर ब्रिज बनाने का यूपीसीडा का ऑफिसर्स ने वादा किया था। ब्रोशर्स में देखकर प्लॉट के अप्लाई किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीसीडा ने ब्रिज की कास्ट को प्लॉट्स की कॉस्टिंग में शामिल किया था। इसी प्लॉट के रेट 18 हजार रुपए प्रति स्क्वॉयर मीटर से अधिक पहुंच गए थे।
ब्रिज के लिए सर्वे
ट्रांस गंगा सिटी के लिए प्लॉट लांच के बाद शायद यूपीसीडा ऑफिसर गंगा पर ब्रिज बनाने के वादे को भूल गए। इसके बाद ट्रांस गंगा सिटी में मुआवजे को लेकर जमीन मालिकों का विरोध शुरू हो गया। ट्रांसगंगा सिटी को विवादों में घिरा और ब्रिज भी न बनते देख सैकड़ों एलॉटीज ने प्लॉट सरेंडर करने शुरू कर दिए। यह देखकर शायद यूपीसीडा ऑफिसर्स को गंगा पर ब्रिज की याद आ गई है। उन्होंने स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन के लिए गंगापुल के सर्वे कराया। इसके लिए 59 लाख रुपए भी दिए।
442 करोड़ से चार लेन का
ब्रिज कार्पोरेशन ने सरसैयाघाट से ट्रांस गंगा सिटी तक 1.92 किलोमीटर लंबे 4 लेन के ब्रिज के लिए लगभग 442 करोड़ रुपए का प्लान बनाया। दादा नगर पैरलल ब्रिज की तरह इस प्रोजेक्ट की फंडिंग के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्र्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट से हेल्प लेने का सजेशन भी दिया। हालांकि अधिक लंबाई और कॉस्ट की वजह से अन्य विकल्प तलाशने को कहा गया। इसके बाद ग्र्रीन पार्क रोड से पुल के रास्ते प्राइवेट जमीनों, बिल्डिंग्स और पेड़ आने की वजह से फाइनल नहीं हो सका।
सीडीओ को जिम्मेदारी
बाद में तत्कालीन डीएम विशाख जी ने जिम्मेदारी इसकी जिम्मेदारी सीडीओ को दी। जिन्होंने ब्रिज कार्पोरेशन के ऑफिसर्स के साथ सर्वे कर टेफ्को की खाली पड़ी जमीन से ट्रांसगंगा सिटी तक ब्रिज बनाने का सजेशन दिया। इसमें वीआईपी रोड पर दो साइड ट्रैफिक गुजारने का प्लान भी बताया गया। हालांकि यह प्लान भी अभी कागजों से बाहर नहीं निकल सका है। यूपीसीडा ऑफिसर्स के मुताबिक गंगा पर ब्रिज के लिए शासन और एनएचएआई को प्रपोजल भेजा हुआ है।
ब्रिज कार्पोरेशन ने बनाया था नए गंगापुल का यह प्लान
--2021 में ब्रिज कार्पोरेशन ने किया था सर्वे
-- 59 लाख रुपए यूपीसीडा ने सर्वे के लिए दिए थे
--4 लेन वाइड बनाया जाएगा ब्रिज
--10.5-10.5 मीटर वाइड होंगे आने-जाने वाले ब्रिज
--1.97 किलोमीटर होगी ब्रिज की लंबाई
-- 4 अंडरपास भी बनाए जाएंगें
--442 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान लगाया गया था
-- 36 महीने ब्रिज बनने में लगेगा वक्त
--2022 में नाबार्ड से बजट मुहैया कराने का दिया था सजेशन
--ट्रांस गंगा सिटी की सक्सेज के लिए कानपुर से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सरसैयाघाट या आसपास से गंगा पर ब्रिज बनाना आवश्यक है। स्कीम लांच करते समय में यूपीसीडा ने ब्रिज बनाए जाने की बात कही थी-- अतुल सेठ, इंडस्ट्रियलिस्ट
--ट्रांस गंगा के प्लॉट लांच करते समय इसकी विशेषताओं में गंगा पर एक्स्ट्रा ब्रिज शामिल था। ब्रोशर्स में साफ-साफ लिखा था। अब तक इस दिशा में यूपीसीडा के ठोस प्रयास नहीं दिख रहे हैं जो निराशाजनक है.-- दीपक द्विवेदी, ट्रांस गंगा रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन
-- प्लॉट्स की कॉस्टिंग में गंगा पर ब्रिज बनाने पर आने वाली कीमत को शामिल किया गया था। इसीलिए प्लाट्स के रेट इतने अधिक थे। अब तक गंगा पर ब्रिज न बनाकर एलॉटीज के साथ यूपीसीडा ने धोखा किया है--विनय सिंहल, एलॉटी
--ट्रांस गंगा सिटी की लांचिंग के वक्त यूपीसीडा ऑफिसर्स ने बड़े-बड़े दावे किए थे। लेकिन गंगा पर ब्रिज तो दूर अब तक स्कीम में एक स्कूल या हॉस्पिटल तक नहीं बनवा सके। जबकि ब्रिज की कीमत को प्लाट्स कॉस्टिंग में शामिल कर एलॉटीज से वसूला गया था.--महेश मिश्रा, एलॉटीज