अमरीकी सेना में ख़ुफ़िया जानकारी के विश्लेषक मैनिंग पर आरोप है कि उन्होंने ही अमरीकी सरकार के गोपनीय संदेश विकीलीक्स को उपलब्ध कराए।
हज़ारों दस्तावेज़ लीक करने और 'दुश्मन की मदद' करने के आरोप झेल रहे मैनिंग अगर दोषी पाए गए तो उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है। उन्हें इस लीक के मामले में मई 2010 में गिरफ़्तार किया गया था।
अमरीकी सेना ने इस मामले पर जारी एक बयान में ट्राइब्यूनल के प्रमुख लेफ़्टिनेंट कर्नल पॉल अलमांज़ा की टिप्पणी का ज़िक्र किया है। उसमें कहा गया है, "इस बात पर विश्वास के करने के पर्याप्त आधार हैं कि अभियुक्त पर जो आरोप लगा है वह उसमें शामिल था."
सेना के बयान के अनुसार, "उन्होंने (लेफ़्टिनेंट कर्नल अलमांज़ा) इस बात की सिफ़ारिश की है कि ये मामला कोर्ट मार्शल के लिए भेज दिया जाए."
वॉशिंगटन मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल माइकल लिनिंगटन इस बात पर अंतिम फ़ैसला करेंगे कि मैनिंग पर सैनिक अदालत में मुक़दमा चलेगा या नहीं।
निजी परेशानी
दिसंबर में हुई सुनवाई में मैनिंग के वकीलों ने कहा था कि वह निजी मसलों की वजह से परेशान था। उनका कहना था कि मैनिंग के वरिष्ठ अधिकारियों को देखना चाहिए था कि ख़ुफ़िया जानकारी तक उनकी पहुँच न रहे।
इस बीच अभियोक्ताओं ने कहा कि ये सैनिक सीधे तौर पर विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज के संपर्क में था। डिजिटल अपराध की छानबीन करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने मैनिंग के एक डाटा कार्ट में हज़ारों ख़ुफ़िया दस्तावेज़ देखे।
विकीलीक्स पर छपे दस्तावेज़ अमरीकी इतिहास में ख़ुफ़िया जानकारी के सामने आने का सबसे बड़ा मामला था। उनमें लगभग चार लाख ऐसे दस्तावेज़ थे जो इराक़ युद्ध से जुड़े थे। उनमें ऐसा कहा गया था कि वहाँ पर अत्याचारों की अनदेखी की गई और हज़ारों इराक़ी नागरिकों की मौत का ब्यौरा दिया हुआ था।
हिरासत में हाल
गिरफ़्तारी के बाद मैनिंग को वर्जीनिया राज्य में रखा गया था। मगर हिरासत में उनके हालात को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता भी ज़ाहिर हुई थी।
मैनिंग के वकीलों ने बताया था कि चौबीसों घंटे उन पर निगरानी रखी जा रही थी, रात में उन्हें कपड़े उतारने के लिए कहा जाता था और उसके बाद सबकी गिनती के समय उन्हें नंगे रहना पड़ता था।
अमरीकी विदेश मंत्रालय के एक प्रमुख प्रवक्ता पीजे क्रॉली ने ये कहते हुए इस्तीफ़ा दे दिया था कि विकीलीक्स मामले के अभियुक्त से जिस तरह सेना बर्ताव कर रही है वो 'मूर्खतापूर्ण और नुक़सानदेह' है।
इसके बाद 20 अप्रैल 2011 में उन्हें कैंसस राज्य की फ़ोर्ट लीवनवर्थ जेल भेज दिया गया था जहाँ के हालात पहले की जेल से बेहतर बताए गए।
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