इस दौरान उन्होंने लाखों डॉलर की पुरस्कार राशि और स्पॉनसरशिप्स से पैसा भी कमाया। लेकिन 31 साल की उम्र में रिटायर होने के बाद एक करोड़पति स्टार अपने जीवन और समय के साथ क्या करता है? क्या वो आरामदायक जिंदगी और उसके ऐशो-आराम से बोर नहीं हो जाता?बैकर बताते हैं, “टेनिस छोड़ने के कुछ साल बाद तक मैं कुछ भी नहीं कर रहा था। मेरे पारिवारिक जीवन में उतार चढ़ाव थे। मेरा तलाक हुआ। इसलिए मुझे एक तरह से जीवन की नई शुरुआत करनी पड़ीलेकिन केवल गॉल्फ खेलने और आरामगाहों में छुट्टियाँ बिताने के अलावा कुछ और न करने से व्यक्ति जल्द ही बोर हो जाता है। फिर 35 साल की उम्र में मुझे लगा कि मैं अपने प्रोफेशनल जीवन में बहुत कुछ कर सकता हूँ और करना भी चाहता हूँ.”
पिता की सीख काम आई
बैकर अपने पिता, जो एक आर्किटेक्ट थे, की दी गई सीख को याद करते हुए बताते हैं कि उन्होंने कई बार समझाया था, "टेनिस कभी भी खत्म हो सकता है। क्या होगा अगर तुम्हारी किसी दिन टांग टूट जाए, हाथ टूट जाए। लेकिन परिवार का पोषण तो करना होगा। हमेशा तो टेनिस खिलाड़ी नहीं रहोगे। पैसे का सही से निवेश करना जरूरी है."
पिता की इसी सीख का अनुसरण करते हुए बैकर ने खुद को टेनिस स्टार से सफल व्यवसायी बनाने की प्रक्रिया में ब्रांड बैकर की कहानी लिखनी शुरु कर दी। बैकर बताते हैं, "मेरे पिता आर्किटेक्ट थे। यही कारण रहा कि रियल इस्टेट मेरा पहला प्यार बना। मैं छोटी उम्र में अपने पिता की साइट्स पर जाता था। इसलिए जमीन को लेकर मेरी निगाह अच्छी है। मुझे अंदाजा है कि कहा शानदार अपार्टमेंट या घर बन सकता है.”
बीस साल की उम्र से जमीनें खरीद रहे बैकर ने कहा, "मैं यह तो नहीं कहूंगा कि मैंने अपने शौक को पेशे में बदला लेकिन मुझे जो अच्छा लगा उसे मैंने हासिल कर लिया.” बैकर कहते हैं, “मैं 45 साल का हूँ और मैं अपने दूसरे कैरियर से संतुष्ट हूँ। रिटायर होने का सवाल नहीं है। क्योंकि सुबह उठकर मेरे जहन में यह नहीं आता कि मुझे जबरदस्ती काम पर जाना है और मैं ऑफिस नहीं जाना चाहता, तो रिटायरमेंट कैसी” रियल एस्टेट के अलावा बैकर मर्सडीज के ब्रांड अंबेसडर हैं और इस कार के तीन शोरूम के मालिक भी हैं।
कुछ सबक भी मिले
हालांकि ऐसा नहीं कि बैकर हर कारोबार में कामयाब ही रहे। उनके दो-तीन बिजनेस फेल भी हुए। जर्मनी में टेक्स संबंधी मसले पर उन्हें दो साल की निलंबित सजा भी मिली। पैसे की अदायगी न करने के कारण माजोरका की उनकी संपत्ति अदालती पचड़े में फंसी। हालांकि सबसे बड़ी असफलता दुबई का बैकर टॉवर है। इस टॉवर को लेकर उनके मन में आज भी टीस है। बैकर ने कहा, “ मैंने उस टॉवर को अपना नाम दिया था जो मेरे लिए सब कुछ था। लेकिन इसके निर्माण में लगने वाला पैसा मेरा नहीं था। दुबई में मंदी आई और कारोबार पर इसका असर पड़ा। ”
इस टॉवर की नाकामी ने बैकर को काफी कुछ सीखा दिया। वह पहले से ज्यादा चौक्कने हैं। यही कारण है कि वह शेयर बाजार में पैसा नहीं लगाते। उन्होंने कहा, “मैं जोखिम भरे कारोबार में पैसा लगाना नहीं चाहूँगा। मैं रियल इस्टेट में निवेश करना पसंद करता हूं। इसमें 10 से 15 सालों में अच्छी रिटर्न मिल जाती है.”
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