एक ब्रितानी टीम ऐसी ही कार बनाने की कोशिश कर रही है जो जमीन पर गति के मौजूदा रिकॉर्ड को तोड़ दे। ब्लडहाउंड एसएससी (सुपरसोनिक कार) नाम की इस कार में यूरोफाइटर के 'टायफून जेट' का इंजन लगाया गया है जिसके साथ एक रॉकेट जोड़ दिया गया है।
इस परियोजना पर काम कर रहे विंग कमांडर ग्रीन ने अपने अनुभव बीबीसीन्यूज़.कॉम से बांटे:
अब तक आपने सबसे तेज और सबसे डरावना क्या कुछ किया है?
मेरे ऐसे दो अनुभव हैं। सबसे तेज़ था वर्ष 1997 में 763 मील प्रति घंटे की गति से 'थ्रस्ट एसएससी' चलाना और दुनिया में जमीन पर सबसे तेज़ रफ्तार का रिकॉर्ड कायम कर देना।
सबसे डरावना अनुभव है स्विट्जरलैंड में होने वाली 'क्रेस्टा रन' नाम की वार्षिक दौड़। बर्फ पर चलने वाली गाड़ी (स्लेज) पर बैठकर 1,200 मीटर लंबी इस दौड़ में वैसा ही अनुभव होता है जैसा ब्लडडाउंड कार में होने की उम्मीद है।
इस दौड़ में स्लेज 75 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जाती है लेकिन गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव की वजह से इसे चलानेवाले को यही गति तीन गुना ज्यादा महसूस होती है। वर्ष 2012 में रॉल एयर फोर्स टीम के कप्तान के तौर पर ये दौड़ जीतने के बाद अब मुझे विश्वास है कि ब्लडहाउंड परियोजना के लिए ये वर्ष बेहद महत्वपूर्ण होगा।
कैसे बनेगी ये कार?
इस वर्ष कार को बनाने की तैयारी जोरों पर है। कार का फ्रेम पांच कंपनियां मिलकर बना रही हैं और ये महज एक टन का होगा। हालांकि इसे बनाने में छह टन कच्चा माल लगेगा।
कार को ज्यादातर स्टील और एल्यूमीनियम से बनाया जाएगा। मेटल से बने ढांचे जेट इंजन से पैदा होने वाली तेज गर्मी और कंपन को बर्दाश्त करने के लिए और रेगिस्तान की धूल से कार के नीचे के हिस्सों को घिसने से बचाने के लिए उपयुक्त होंगे।
रफ्तार अगर एक हज़ार मील प्रति घंटा होगी तो पहिए भी साधारण नहीं हो सकते। एक मिनट में दस हज़ार बार घूमने वाले ये पहिए ठोस एल्यूमीनियम से बनाए जाएंगे। इन पहियों को लगाने से पहले कार में कम गति पर चलने वाले पहिए लगाकर ब्रिटेन के एक रनवे पर उसकी जांच की जाएगी।
जेट से चलेगी कार
कार में लगाया जाने वाले 'फैल्कॉन रॉकेट' भी इसी वर्ष परखा जाएगा। ये इतना जटिल है कि इसे बनाने में 40 कंपनियां लगी हैं। ये नया सिस्टम है इसलिए पहले कुछ महीनों में जेट को किसी तरह के रिसाव के लिए जांचा जाएगा।
उसके बाद कार को इतनी तेज रफ्तार पर चलाने के लिए जरूरी, 'हाई टेस्ट पेरोक्साइड' (एचटीपी) रसायन, को 'फैल्कॉन जेट' में डाला जाएगा। उसके बाद असली काम होगा यानि कार को चलाकर जांचना। ये प्रयोग कहां होगा इसकी जानकारी तो मैं अभी नहीं दे सकता लेकिन हमारा ख्याल है कि इसे गोपनीय रखना शायद ही मुमकिन हो, क्योंकि इस कार के चलने की आवाज़ किसी से छिपी नहीं रह पाएगी।
ब्रिटेन में विश्व का सबसे बड़ा 'मोटर-स्पोर्ट' उद्योग और दूसरा सबसे बड़ा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उद्योग है। लेकिन वर्ष 2008 में शुरू की गई इस परियोजना को परिवहन से जुड़े उद्योगों के अलावा जनता से भी सहयोग मिला है। इसकी वेबसाइट पर पांच हज़ार स्कूल और कॉलेजों ने अपना नाम दर्ज करवा लिया है। सबकी नजरें ब्लडहाउंड पर हैं। बस, अब हमें ये कार बनाकर दिखानी है।
Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk