- सूत्र तो मिले लेकिन जमींदोज हुए स्लीपर सेल्स को नहीं तलाश पाई एटीएस

-14 दिन की पुलिस रिमांड पूरी होने के बाद जेल भेजे गए दोनों आतंकी मिनहाज और मसीरुद्दीन

-तीन पर्चो में की गई कानपुर और यहां के संपर्को की चर्चा, कई गहरे राज नहीं उगलवा पाई एटीएस

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KANPUR : एक्यूआईएस के संगठन गजावत-उल-हिंद के आतंकी मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन की 14 दिन की पुलिस रिमांड के बावजूद एटीएस कानपुर से जुड़ा कोई गहरा राज नहीं उगलवा सकी। रिमांड पूरी होने पर वेडनेसडे को उन्हें कोर्ट में पेश कराकर जेल भेज दिया। अब एटीएस आगे की रणनीति पर काम कर रही है। एटीएस ने 350 पन्ने की चार्जशीट तैयार की है। जेल में दाखिल करने से पहले कोर्ट ले जाने के दौरान पांच पर्चे दाखिल किए गए। जिनमें तीन में कानपुर कनेक्शन का जिक्र किये जाने की बात बताई गई।

दो बार कानपुर लाया गया मिनहाज

सूत्रों की मानें तो एटीएस को मिनहाज से पूछताछ में कानपुर से जुड़ी जो भी जानकारियां मिली हैं, उनके आधार पर संदिग्धों की पहचान तो हो गई है, मगर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुख्ता सबूत अभी नहीं हैं। बिल्डर, प्रोफेसर और मोबाइल सिम दिलाने वालों के खिलाफ एटीएस कोई अहम सबूत नहीं जुटा सकी। कानपुर में आतंकियों की फंडिंग की बात भी सामने आई। 32 बैंक अकाउंट में 9 में विदेशी लेनदेन पकड़ा गया है। मगर, इनसे जुड़े अधिकांश लोग फरार हैं। कुल मिलाकर एटीएस को फरार करीब एक दर्जन लोगों की तलाश है। इनके पकड़े जाने के बाद ही एटीएस आगे कार्रवाई कर सकेगी। वहीं ये राज भी सामने नहीं आ सका कि शकील ने कंट्रीमेड पिस्टल खरीदने के लिए किससे संपर्क किया था और बम विस्फोट के लिए बारूद देने वाला कौन था।

एटीएस का टारगेट हलमंडी

11 जुलाई को मिनहाज को पकड़ा गया था। 10 जुलाई की रात तक इससे जुड़े लोगों को फोन ऑन थे और बताए गए लोकेशन पर थे। इनके पकड़ने के बाद सभी लोग इस तरह अंडरग्राउंड हुए कि न तो शातिर मिले और न इनकी लोकेशन। एटीएस के अधिकारिक सूत्रों की माने तो अब टीम उमर हलमंडी की तलाश में है। हलमंडी के पकड़े जाने पर एक्यूआईएस के गजावत-उल- हिंद का पूरा माड्यूल लड़खड़ा जाएगा।