कानपुर (ब्यूरो) अब अगर इस गांव की बात करें तो 2 जुलाई 2020 की काली रात को हुई वारदात के बाद इस गांव के चार दर्जन से ज्यादा लोग यानी 50 लोग जेल में बंद हैैं। वहीं छह लोगों का एनकाउंटर हो चुका है। यानी एक गांव के मोहल्ले से 56 लोग निकल गए हैैं। ऐसे हालात में गांव के दर्जनों घर ऐसे हां जहां केवल महिलाएं बची हैं और वे भी वृद्ध। हिम्मत कर इन महिलाओं के पास परिवार की युवतियां और बच्चियां रहती हैैं जो इनकी देखभाल करती हैैं। खाना बनाती हैैं और बीमारी के समय इनकी दवा और सेहत का ख्याल रखती हैैं। आसपास के दर्जनों घरों में ताला बंद है। सड़क पर पसरा सन्नाटा आज भी पुलिस और विकास दुबे की दहशत याद दिलाता हैैं। पूरे गांव में कोई भी पुरुष दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम को नहीं दिखाई दिया।
गिरोह के लोगों से अब भी परेशानी
अब गांव के दूसरी तरफ की बात करते हैैं यानी गांव में जाने वाली पहली और दूसरी सड़क की। इस सड़क से अंदर जाने पर कुछ लोग पेड़ के नीचे ताश (प्लेइंग कार्ड्स) खेलते दिखाई दिए। गाड़ी रुकते ही लोग तितर बितर हो गए, मानो कोई पुलिस की गाड़ी आई हो। एक युवक को बुलाने पर वह आया और बोला पंडित जी (विकास दुबे) के गैैंग के लोग अब भी जेल के बाहर हैैं। वे समय-समय पर गांव आते हैैं और विरोध में न बोलने की धमकी देते हैैं। उससे भी बुरी दशा पुलिस करती है। कोई पंडित जी की पार्टी का बताता है तो कोई उनके मिलने वालों का। स्थानीय लोगों की माने तो आए दिन पुलिस किसी न किसी को उठा कर ले जाती है और पूछताछ कर जेल भेजने के नाम पर वसूली करते हैैं।
कुछ भी पूछने पर घर में घुस जाते हैैं ग्रामीण किसी भी अंजान से बात करने में घबराते हैैं। किसी के कुछ भी पूछने पर घर में चले जाते हैैं। हालात ये हैैं कि रास्ता पूछने पर भी लोग घरों में घुस जाते हैैं।