कानपुर (ब्यूरो)।नगर निगम चुनाव के रिजल्ट यह बात स्पष्ट तौर पर साफ कर दी कि भले ही पोलिंग कम हुई लेकिन वोटर्स ने भाजपा की झोली में जमकर वोट डाले और सदन को भगवामय कर दिया। कानपुराइट्स ने लोकतंत्र के अधिकार का प्रयोग करते हुए बीजेपी को चौथी बार महापौर की सीट पर बैठाया। भले ही प्रमिला पांडेय का टिकट अंतिम मौके पर फाइनल हुआ लेकिन जीत का सेहरा एक बार फिर उन्हीं के सिर पर सजा। यही नहीं भाजपा के पार्षदों की संख्या में भी इजाफा हुआ। पिछली बार 58 पार्षदों की अपेक्षा इस बार सदन को 63 पार्षद दिए। यानी पांच पार्षद ज्यादा। पार्षद पद पर निर्दलीय भी छाए रहे और 16 सीटें इनके खाते में आईं। पार्षद सीट पाने में 15 सीटें पाकर समाजवादी पार्टी तीसरे स्थान पर रही। काग्रेस खास नहीं लड़ सकी और महापौर में तीसरे नंबर का स्थान पाया, वहीं पब्लिक ने उसके 8 पार्षदों को सदन भेजा।
48.03 प्रतिशत वोट भाजपा को मिले
शहर की सरकार के लिए वोटिंग मात्र 41.34 प्रतिशत होने से राजनीतिक हल्कों में यह चर्चा जोर पकडऩे लगी थी कि इसका सीधा नुकसान बीजेपी को होगा। हालांकि राजनीतिक &चाणक्यों&य के सारे अनुमान फेल हो गए और कानपुराइट्स ने महापौर के लिए पिछले निकाय चुनाव से 72 हजार 712 ज्यादा वोट प्रमिला पांडेय की झोली में डाल दिए। बता दें कि 2017 के निकाय चुनाव में 21 लाख 35 हजार 72 मतदाताओं में से नौ लाख 42 हजार 497 ने वोट डाले थे। 2017 में कुल मतदान 44 प्रतिशत रहा था। इस बार 22 लाख 17 हजार 517 वोटर थे। इनमें से 41.34 मतदाताओं ने ही वोट डाले, यानी पिछली बार की अपेक्षा 2.66 वोट कम पड़े। इस बार पड़े नौ लाख 16 हजार 735 वोटों में भाजपा को 48.03 प्रतिशत वोट मिले। बाकी करीब 52 प्रतिशत वोट का सपा, कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच बंटवारा हुआ।
हाईलाइट्स
- प्रमिला पांडेय ने 440353 वोट पाकर समाजवादी पार्टी की वंदना बाजपेई को 177846 वोटों से शिकस्त दी
- सपा ने 262507 वोट पाकर शहर की सरकार में पहली बार मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आई
- पिछली बार 291591 वोट पाकर सेकेंड नंबर पर रही कांग्रेस मात्र 90480 वोट पाकर थर्ड नंबर पर आ गई
- यूपी चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक प्रदेश की 14 नगर निगमों में प्रमिला पांडेय को सबसे अधिक वोट मिले
- प्रमिला पांडेय दूसरी बार महापौर चुनी गईं हैैं, इसके पहले भाजपा के कैप्टन जगतवीर ङ्क्षसह द्रोण और रवीन्द्र पाटनी महापौर बने थे