ब्राज़ील में वर्ष 2014 में विश्व कप का आयोजन होना है। दरअसल ब्राज़ील के स्टेडियमों में अल्कोहल वाले ड्रिंक्स के बेचने पर पाबंदी है। लेकिन ब्राज़ील की कांग्रेस विश्व कप के लिए क़ानून में बदलाव पर विचार कर रही है। इसी मुद्दे पर फ़ीफ़ा के महासचिव जेरोम वाल्क ने कहा है कि विश्व कप क़ानून में बीयर बेचने के अधिकार को शामिल किया जाना चाहिए।

लेकिन ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्री ने कांग्रेस से अपील की है कि नए क़ानून में पाबंदी को बरकरार रखना चाहिए। अमरीका की बीयर बनाने वाली कंपनी बडवाइज़र फ़ीफ़ा के प्रायोजकों में से एक है।

मतभेद

फ़ीफ़ा के महासचिव वाल्क इस समय ब्राज़ील के दौरे पर हैं, ताकि विश्व कप क़ानून में और देरी न हो। फ़ीफ़ा इस मामले पर काफ़ी निराश भी है, क्योंकि अल्कोहल की बिक्री पर विवाद के कारण इस क़ानून पर मतदान नहीं हो पाया है।

ब्राज़ील सरकार और फ़ीफ़ा के बीच कई अन्य मुद्दों पर भी मतभेद हैं, इनमें छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए टिकटों की क़ीमत के साथ-साथ प्रायोजकों की अपने ट्रेड मार्क के संरक्षण को लेकर मांग भी शामिल है।

रियो डी जनेरो में पत्रकारों के साथ बातचीत में फ़ीफ़ा महासचिव वाल्क ब्राज़ीलियाई अधिकारियों को लेकर काफ़ी हताश नज़र आए। उन्होंने कहा, "अल्कोहल ड्रिंक्स फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप का हिस्सा हैं। इसलिए ये तो रहेगा ही। मुझे माफ़ कीजिएगा अगर मैं थोड़ा अड़ियल लग रहा हूँ, लेकिन ये ऐसी चीज़ है, जिस पर हम कोई बातचीत नहीं करेंगे। ये तथ्य है कि हमें बीयर बेचने का अधिकार है और ये क़ानून का हिस्सा होना चाहिए."

आलोचना

वाल्क ने विश्व कप के आयोजन स्थलों पर चल रहे निर्माण कार्य की गति की भी आलोचना की। वर्ष 2003 में ब्राज़ील में फ़ुटबॉल मैचों के दौरान अल्कोहल पर पाबंदी लगा दी गई थी। इसका मक़सद मैचों के दौरान प्रतिद्वंद्वी समर्थकों के बीच हिंसा को रोकना था।

फ़ीफ़ा महासचिव वाल्क ने ये भी बताया कि ब्राज़ील के साथ विश्व कप के विवरण पर चर्चा धीमी है। उन्होंने बताया, "हमने काफ़ी समय गँवा दिया है। हम उन लोगों से विचार-विमर्श नहीं कर पाए हैं, जो लोग प्रभारी हैं। ऐसा पहली बार है कि विश्व कप की मेज़बानी हासिल करने के पाँच साल बाद भी अभी उस देश से बातचीत चल रही है."

अपनी ब्राज़ील यात्रा के दौरान वाल्क 12 शहरों का दौरा करेंगे, जहाँ विश्व कप के मैच खेले जाएँगे। वाल्क ने निर्माणकार्यों की गति की आलोचना की और कहा कि ब्राज़ील ने अपनी बुनियादी सुविधाओं उस स्तर का सुधार नहीं किया है, जो बाहर से आने वाले लोगों के लिए ज़रूरी है।

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